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24 मार्च 2012

संतोष और प्रसन्नता के लिए आज चंद्रघंटा की पूजा!

अजमेर.चैत्र नवरात्र में घट स्थापना के बाद शनिवार को शहर के विभिन्न मंदिरों में मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की विधि विधान के साथ पूजा की गई। मंदिरों में विशेष आरतियां और सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना हुई। मंदिरों में मां के ज्योत स्वरूप के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइनें लगी।

बड़ी संख्या में लोगों ने व्रत और उपवास भी रखे। घरों में भी मां की पूजा अर्चना हुई। बोराज स्थित मां चामुंडा मंदिर, बजरंग गढ़ चौराहा स्थित अंबे माता मंदिर, फॉय सागर रोड स्थित मां काली माई मंदिर, रामगंज काली माता मंदिर, नौसर घाटी स्थित नौसर माता मंदिर, शास्त्री नगर स्थित मेंहदी खोला माता मंदिर सहित अन्य मंदिरों में मां की आरती कर प्रसाद का वितरण किया गया। कई स्थानों पर रात्रि जागरण भी हुए। गायकों ने रात भर मां के भजन गाकर स्तुति की।

मां ब्रह्मचारिणी की हुई पूजा

नवसंवत्सर चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की गई।देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप उनके नाम अनुसार तपस्विनी जैसा है। देवी दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों एवं सिद्धों को अमोध फल देने वाला है। इसकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। मां की सिद्धि से विजय और वैभव की प्राप्ति होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली। यह ज्योति स्वरूपा है और मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति है।

आज मां श्री चंद्रघंटा की पूजा

रविवार को आदि शक्ति मां दुर्गा के तीसरे रूप श्री चंद्रघंटा के स्वरूप की पूजा होगी। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। नवरात्र में घट स्थापना के तीसरे दिन मां के इस रूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां के इस रूप की विधि विधान से पूजा करने वाले साधक को मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां मिलती है।

चंद्रघंटा देवी का स्वरूप तपे हुए स्वर्ण के समान कांतिमय है। चेहरा शांत एवं सौम्य है और मुख पर सूर्यमंडल की आभा है। मां के इस रूप से साधक को संतोष और प्रसन्नता मिलती है। मां का यह स्वरूप सिंह पर सवार होकर अपने दस हाथों में खड्ग, तलवार, ढाल, गदा, पाश, त्रिशूल, चक्र, धनुष लिए मंद-मंद मुस्क राता है।

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