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23 मार्च 2012

एक मुस्लिम शासक की इच्छा से हुआ था माँ के इस मंदिर का निर्माण!



माँ के नाम अनेक हैं और उनके नामों के अनुरूप उनके शक्तिपीठ भी कदम कदम पर मिल जाते हैं, कहीं माँ दुर्गा के रूप में विराजमान है तो कहीं विजयासन देवी के रूप में, कहीं वह शारदा है तो कहीं काली के रूप में भक्तो का उद्धार कर रही है। इसी तरह ज्वाला, जगदम्बा आदि नाम से भी माँ के शक्तिपीठ भक्तो की मनोकामनाएं पूरी कर रहे हैं।

माँ के महान शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है, इस शक्तिपीठ को भद्रकाली के नाम से जाना जाता है, यहाँ माँ अपने तामसी स्वरुप में विराजमान है और अपने भक्तों का लगातार कल्याण कर रही है।प्रति शनिवार माँ के इस मंदिर में भक्तों की लम्बी कतारें देखना आम बात है, लेकिन चैत्र नवरात की अष्टमी और नवमी तिथि को इस मंदिर में राजस्थान के साथ-साथ हजारों की संख्या में हरियाणा, पंजाब के भक्तों का भी तांता लगा रहता है।

इस मंदिर का निर्माण लगभग 600 वर्षों पूर्व हुआ था, बीकानेर के छठवें महाराज राम सिंह के अनुसार यह मंदिर सम्राट अकबर की इच्छा से बनवाया गया था। यह मंदिर हनुमानगढ़ से 7 किमी की दूरी पर स्थित है

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