आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

08 मार्च 2012

अंधेर नगरी चोपट राजा की कहावत बदलना है तो आई पी एस और आई एस के प्रशिक्षण प्रक्रिया बदलना होगी ..इनके प्रशिक्षण कार्यकाल की निगरानी बढाना होगी

दोस्तों आपने देखा है होली के दिन मध्यप्रदेश में भाजपा शासन में एक आई पी एस की कर्तव्यों निर्वहन के दोरान निर्मम हत्या और ऐसे मामले में ना तो आई पी एस लोबी कुछ बोल रही है और ना ही जिस आई ऐ एस महिला को विधवा बनाया गया है उसकी आई ऐ एस लोबी कुछ सोच रही है .....डियूटी के दोरान पुलिस अधिकारीयों का मर जाना कोई बढ़ी बात नहीं है पुलिस अधिकारी और पुलिस कर्मचारी अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दोरान शहीद होते रहे है ..लेकिन यह शहादत ऐसी शहादत है जिसने सिस्टम को झकझोर दिया है और एक नई प्रशासनिक सोच बनाने पर मजबूर किया है .... मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय शिवराज जी के लियें तो यह एक मामूली रोज़ होने वाली घटना है ...शिवराज जी ने इसे गंभीरता से भी लिया ..आरोपी को गिरफ्तार किया हत्या का मामला दर्ज किया लेकिन सरकारी प्रतिनिधि गृह सचिव जी साफ़ कहते है के यह जान बुझ कर की गयी हत्या नहीं है ..सरकार द्वारा दर्ज मुकदमे और उसके बयान में यह विरोधाभास साबित करता है के सरकार का कहीं ना कहीं अपराधियों के प्रति सोफ्ट कोर्नर है ..अवेध खनन मध्यप्रदेश ..कर्नाटक और राजस्थान सहित कई राज्यों की एक प्रमुख समस्या है और इसी कारण से इन लोगों के पास काला धन होने से यह समाज में गुंडागर्दी बरपा रहे है ऐसे हालातों में अवेध खनन तो रुकना ही चाहिए .......यह तो हुई बात एक घटना और उस पर तबसरे की लेकिन दोस्तों जरा हम यह भी तो सोचे के नये अधिकारी आई पी एस हो चाहे आई ऐ एस आखिर उनके प्रशासन में क्या कमी होती है जो उनकी जनता और जनप्रतिनिधियों से टकराहट होती है ...आप सभी जानते है पुलिस के सभी वरिष्ठ अधिकारी जानते हैं ...अख़बार वाले तो खूब अच्छी तरह से जानते है ..जब भी किसी आई पी एस की प्रशिक्षु के रूप में नियुक्ति होती है उस थाने और सर्किल में कहर बरपा कर दिया जाता है आप इतिहास उठा कर देख लें ,कोई भी नया आई पी एस ......काम सीखने के लियें पीटा एक्ट यानी वेश्यावृत्ति निरोधक कानून .....कोपी राईट एक्ट ....स्मेक .....सट्टा .... अवेध पिस्तोल ..चाकू और तलवार की बरामदगी के मुकदमे बनाते है हर आई पी एस के प्रशिक्ष्ण के दोरान यह मुकदमे उनसे बनवाये जाते है जरा यह लोग अपने जमीर से पूंछे क्या वोह मुकदमे सही व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज होते है या फिर केवल कागज़ी कार्यवाही और प्रेक्टिकल के लियें इन लोगों को टास्क के नाम पर बली का बकरा बनाया जाता है .......कई मामलों में तो यह आई पी एस मुकदमा बनाने के बाद जब महत्वपूर्ण पोस्टों पर लग जाते हैं तो अदालतों में बयान देने तक नहीं आते है और अपराधी बरी हो जाते हैं ..एक तरफ तो इमानदारी की बात और दूसरी तरफ मुकदमा बनाना सीखने के लियें टेबल पर बेठ कर किसी को भी पुराना रिकोर्ड देख कर अपराधी बनाने की बात क्या सही कहा जा सकता है ..दूसरी बात नये आई ऐ एस साहब जनता से सीधे मुंह बात नहीं करना चाहते वही पर्ची दो फिर मीलों और खुद को सीनियर अधिकारी से बढ़ा साबित करने की इनकी बीमारी इन्हें और खूंखार बना देती है ..खुद को इमानदार साबित करने के चक्कर में यह कई लोगों से झगड़ा मोल ले लेते है ....यह एक बीमारी होती है जो इन्हें विवादों में डाल देती है ..ऐसी स्थिति में अब एक नये चिन्तन की जरूरत है सिस्टम को बदलना चाहिए आज के इस इंटरनेट आधुनिक युग में आई ऐ एस और आई पी एस को प्रशिक्षण के दोरान उनके कोर्स में बदलाव लाना चाहिए उन्हें व्यवहारिक और जनता से सीधे सम्पर्क स्थापित रखने के बारे में सिखाना चाहिए आप जानते है एक आई पी एस और पुलिस अधिकारीयों को सिखाया जाता है के अभियुक्त की दाई जेब से ही कोई भी आपत्तिजनक वास्तु बरामद करना है कई बार तो इसरेट रटे रटाये जुमले में वोह यह भी भूल जाते है के कुछ अपराधी ऐसी पेंट ही नहीं पहनते जिनके दाई जेब हो ..कई अपराधियों का दायाँ हाथ ही नहीं होता लेकिन पुलिस तहरीर में यह सब एक सेट लेंग्वेज होने के कारण लिखा होता है ..में खुद आपराधिक मामलों की वकालत करता हूँ आज तक मुझे पुलिस की ऐसी कोई तहरीर नहीं मिली जिसमे अपराधी से पुलिस अधिकारी ने दायीं के स्थान पर बायीं जेब से आपत्तिजनक वस्तु बरामद की है ..तो दोस्तों यह एक ऐसा चिंतन है जो हमे सोचने पर मजबूर करता है के अब आई पी एस और आई ऐ एस के ट्रेनिंग के सिस्टम को बदलना चाहिए उन्हें कानून की हदों में रहकर काम करने की हिदायत देना चाहिए इतना ही नहीं इनके प्रशिक्षण कार्यकाल के कानून इतने सख्त हों के जनता से इनके व्यवहार के बारे में अगर शिकायत मिले तो उसकी तस्दिके हो जाँच हो और अगर इनके खिलाफ साबुत हों तो फिर सख्ती से इनके कार्यवाही हो ताके यह लोग जो आने वाले कल के ब्यूरोक्रेट कहलाते है मर्यादाएं सीखे जनता का जनता के लियें जनता द्वारा शासन के तहज़ीब सीखें और एक नये भारत का निर्माण हो यही लोग हैं जो नेताओं की चापलूसी चमचागिरी से ऊपर उठ कर देश को बेईमान और भ्रष्ट नेताओं से बचा सकते है और ऐसा में अकेला नहीं आप अकेले नहीं हम सब मिलकर माहोल बनाये तो ही किया जाना सम्भव है वरना तो बस जेसा चल रहा है वेसी ही अंधेर नगरी और चोपट राजा का माहोल रहेगा ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...