आपका-अख्तर खान

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01 मार्च 2012

इसीलियें तो वोटर मुझे चुनते हैं


क्यूँ
किस्लियें घबरा गए
तुम मेरा
यह वीभत्स
मुस्कुराता चेहरा देख कर ॥
में
आज की सियासत हूँ
आज की राजनीती हूँ
जी हाँ
में वही हूँ
जो वोटों के लियें
हजारों को मरवा देती हूँ
और उनकी लाशों पर बस
यूँ ही
मुस्कुराती हूँ
हाँ में वही हूँ
जो करोड़ों नहीं अरबों नहीं खरबों रूपये के
घोटाले करती हूँ
और बस यूँ ही मुस्कुराती हूँ ॥
में वही हूँ जो देश की इज्ज़त
देश की अस्मत
देश के मान सम्मान का
सोदा करती हूँ
देख लो
आज
मुझ में कहाँ है
इंसानियत कहाँ है मानवता
इसीलियें तो वोटर मुझे चुनते हैं
और में फिर अपना
वीभत्स मुस्कुराता चेहरा
आपके सामने लियें
शासन में आ जाती हूँ
क्यूँ के इसे ही राजनीति कहते है ..इसे ही राजनीति कहते है ......अख्तर कहाँ अकेला कोटा राजस्थान

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