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04 मार्च 2012

जानिए, क्या सीखाता है होली का त्योहार


हिन्दू पंचांग के अंतिम मास फाल्गुन की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है। होली का त्योहार मनाए जाने के पीछ कई कथाएं प्रचलित हैं। उनमें सबसे प्रमुख कथा इस प्रकार है-
राजा हिरण्यकश्यपु राक्षसों का राजा था। उसका एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। राजा हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानता था। जब उसे पता चला कि प्रह्लाद विष्णु का भक्त है तो उसने प्रह्लाद को रोकने का काफी प्रयास किया लेकिन तब भी प्रह्लाद की भगवान विष्णु की भक्ति कम नहीं हुई। यह देखकर हिरण्यकश्यपु प्रह्लाद को यातनाएं देने लगा। हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को पहाड़ से नीचे गिराया, हाथी के पैरों से कुचलने की कोशिश की किंतु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। हिरण्यकश्यपु की एक बहन थी- होलिका।
उसे वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को मारने के लिए होलिका से कहा। होलिका प्रह्लाद को गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कई किंतु भगवान विष्णु की कृपा से हवा से तब भी भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रूप में होली का त्योहार मनाया जाने लगा

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