तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 मार्च 2012
केरल के विधायक जी ने विधेयक सोशल साईट पर डाल कर जो साहसिक कदम उठा कर नेतिकता का परिचय दिया है उसकी सराहना होना चाहिए और उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए
जी हाँ दोस्तों संसद और विधान सभाओं में अगर जनता के हित में बनने वाले कानूनों के मामले में गुपचुप निति अपनाई जाने लगे जनता से सभी मामले छुपा कर कानून बनाये जाने लगे उन पर बहस होने लगे तो क्या माना जाए ..लोकतंत्र में जनता पर कुछ लोग अपनी मर्जी थोप रहे हैं और ऐसा इस लोकतंत्र में अगर होता रहा है तो जनता को अब ऐसा किसी भी कीमत पर नहीं होने देना चाहिए ....दोस्तों में बात कर रहा हूँ सांसदों के उन बयानों की जिसमे सभी सांसद बेशर्मी से कहते है के कानून बनाने का हक जनता को नहीं संसद को है और इस पर चर्चा संसद के बाहर किसी को भी करने का हक नहीं है ..आप और हम सभी संसद की करतूतों को जानते है हम कितने हजार साल पिछड़ गये है इन लोगों की मनमानी से ..अभी हाल ही में केरल के एक विधायक ने जब जनता की राय जानने के लिए फेस्बोक सोशल साईट पर विधेयक को डाला तो उनके कान उमेठे गये ..समझ में नहीं आता क्या किसी भी कानून या विधेयक के मामले में जो जनता के हित के लियें बनाये जाने की बात होती है उस मामले मेक्या जनता को कानून बनने से पहले या विधेयक पेश होने से पहले जान्ने का हक नहीं है ..क्या इन लोगों को जिन पर और जिन की इमानदारी पर जनता को विश्वास नहीं रहा है ऐसे लोग कुलियों में गुड फोड़ कर कार्यवाही करे और जनता देश को लुटता हुआ देखती रहे ..केरल के विधायक ने विधेयक को जनता की राय के लियें सोशल साईट पर डाल कर एक साहसिक कदम उठाया है उसकी सराहना करना चाहिए और इतना ही नहीं एक माहोल ऐसा तय्यार करना चाहिए के अब जो भी कानून बने ..जो भी विधेयक बने जो भी कार्यवाही हो उस पर संसद हो चाहे विधान सभा हो जनता से राये बिना कोई कार्यवाही नहीं की जाए इसके लिएँ प्रथक प्रथक तो सम्भव नहीं है लेकिन अब देश में सोशल साइटों का जाल है ..ब्लोगिंग का जाल है .अख़बारों और इलेक्ट्रोनिक मिडिया का जाल है इनके माध्यम से संसद और विधान सभाएं खुद अपनी साइटें बनाये और उस पर कोई भी कानून या विधेयक पारित करने से पहले जनता की राय ली जाए यह आवश्यक कानून बने आखिर जब जनता के लियें कानून बनाया जा रहा है जनता के लियें विधेयक पारित किया जा रहा है तो उसे याद होना चाहिए के क्या म्स्वदा तय्यार किया गया है और इसे बहतर बनाने के क्या तरीके है ..इसलियें सोशल साईट के दोस्तों सभी आन्दोलन करो मांग उठाओ के जो भी संसद की कार्यवाही हो विधानसभा की कार्यवाही हो अकेले लोगों का फेसला नहीं हो और उसमे जनता की रायशुमारी भी शामिल हो ..सभी संसद और विधान सभाओं को अपनी अपनी सोशल साइटें बना कर रायशुमारी करना चाहिए .....केरल के विधायक जी ने विधेयक सोशल साईट पर डाल कर जो साहसिक कदम उठा कर नेतिकता का परिचय दिया है उसकी सराहना होना चाहिए और उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए ...... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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