क्या कहूँ
में तुमसे
आज मेरे दिल की
दास्तान ।
दिल का खून हुआ है
आँख से निकले हैं
खून के आंसू
क्या कहूँ
में तुमसे
आज मेरे दिल की
दास्ताँ
सोचा था
जब साथ था उसका
के जन्नत यहीं है यहीं है ।
लेकिन देख लो
आज वोह साथ भी है और दूर भी है
तुम ही बताओ
ऐसी जिंदगी का क्या .......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 मार्च 2012
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बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति
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