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29 मार्च 2012

300 करोड़ के जादुई मंदिर में बाबा का खेल, अटक गई सांसें



पखांजूर। 11 माह पूर्व ग्राम पीवी 16 निवासी प्रदीप मंडल के घर स्वयं को बाबा तथा सिद्ध पुरुष बताने वाला एक व्यक्ति पहुंचा। आस्था के चलते प्रदीप ने उसे घर में पनाह दे दी।


बाबा ने स्वयं को अंडमान निकोबार का निवासी बताया। लोगों का विश्वास हासिल करने बाबा ने झाडफ़ूंक करने के अलावा तरह-तरह के हथकंडे अपनाए। गांव में एक अस्थाई मंदिर की स्थापना की तथा लोगों को रुपए बांटे। गांव गांव में होने वाले भजन कीर्तन में भरपूर सहयोग किया।


ऐसे ही एक अवसर पर पीवी 28 में महिलाओं को साड़ी बांटी। इन सब के चलते कथित बाबा कुछ ही दिनों में क्षेत्र में चर्चित हो गया तथा दिन प्रतिदिन उसकी प्रसिद्धि बढ़ती चली गई। बाबा की पाखंडी महिमा यहीं नहीं रूकी उसने ग्राम पीवी 36 में 300 करोड़ की लागत से 108 मंदिर का निर्माण स्वयं के खर्च पर कराने की घोषणा की।

इसके अलावा तीन किलो की सोने की नाग देवी की मूर्ति देने की बात कही। मंदिर निर्माण के लिए गांव की एक पहाड़ी को चुना गया तथा वहां साफ-सफाई भी की गई। मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन की तिथि बंगला नववर्ष 14 अप्रैल निर्धारित किया गया। भूमिपूजन कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र भी छपवाए गए तथा उनका जगह-जगह वितरण भी किया गया। माइक के माध्यम से क्षेत्र में एनाउंसमेंट भी किया गया। भूमिपूजन कार्यक्रम में भारत के बड़े-बड़े उद्योगपतियों के आने की बात कही गई।


इस दौरान उपस्थित महात्माओं द्वारा प्रेतात्मा, बाधा, कानूनी मामले आदि उलझनों से मुक्ति दिलाने तथा बीमारियों के अचूक इलाज के लिए लोगो से लाखों रुपए बाबा ने वसूले। साथ ही कुछ संपन्न लोगों से बाबा ने उधारी भी ली। पीवी 16 में ही पांच लाख रुपए उधारी लेने की बात सामने आई है।

लाखों रुपए की वसूली के बाद 28 मार्च से महात्मा क्षेत्र से गायब हो गया है। जिस तरह बाबा के आने की खबर रातों रात क्षेत्र में फैल गई थी उसी तरह गायब होने की खबर भी क्षेत्र में तेजी से फैल गई है। बाबा के अचानक गायब होने से दानदाताओं तथा उधारी देने वालों के होश उड़ गए हैं। सूत्रों के अनुसार कथित बाबा ने करीब 20 से 25 लाख रुपए की चपत लोगों को लगाई है। घटना के बाद से बाबा के भक्तों की बोलती बंद है तथा वे उसकी तलाश में जुटे है।


एकाउंट के बहाने बनाया अप्रैल फूल
प्रसिद्ध होने के बाद बाबा ने उधारी लेना भी प्रारंभ कर दिया था। बाबा की महिमा को देखते लोग भी उसे उधारी देने में संकोच नहीं किया। धीरे-धीरे बाबा ने अंतिम समय तक लाखों रुपए की उधारी ले ली थी। बाबा से किसी ने कभी उधारी को लेकर तकादा तो नहीं किया लेकिन बाबा हमेशा मार्च एकाउंट का बहाना बनाया करते थे। बाबा ने इस मार्च में जाने से पूर्व कहा था की मार्च एकाउंट खत्म होने के बाद 2 अप्रैल को वे चेक के माध्यम से पैसे लौटा देंगे। लेकिन बाबा अप्रैल के पहले ही लोगों को मार्च में अप्रैल फूल बना गए।


फोटो देने से परहेज करता था बाबा
रातो रात प्रसिद्ध हुए बाबा की फोटो किसी के पास भी नहीं है। बाबा फोटो खिंचवाने से बिल्कुल परहेज करते थे। किसी कार्यक्रम आदि में कोई श्रद्धालु बाबा की फोटो लेने अपना कैमरा या मोबाइल फोकस करता तो वे मना कर देते थे। कुछ कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने चोरी चुपके बाबा की फोटो लेने कोशिश जरूर की लेकिन वे स्पष्ट फोटो ले नहीं पाए।

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