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15 मार्च 2012

पापमोचिनी एकादशी 18 को, जानें महत्व व व्रत विधि




हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हर माह में दो एकादशी आती है। इस तरह एक वर्ष में 24 एकादशियां होती हैं। जिस वर्ष अधिक मास होता है उस वर्ष इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। पुराणों के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी सभी पापों का नाश करने वाली है। इस बार यह एकादशी 18 मार्च, रविवार को है।

व्रत विधि

पापमोचिनी एकादशी व्रत में भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है। व्रती दशमी तिथि (17 मार्च, शनिवार) को एक बार सात्विक भोजन करे और मन से भोग विलास की भावना को निकालकर भगवान में मन लगाएं। एकादशी के दिन सूर्योदय काल में स्नान करके व्रत का संकल्प करें। संकल्प के उपरान्त षोड्षोपचार सहित भगवान श्री विष्णु की पूजा करें। पूजा के पश्चात भगवान के सामने बैठकर भग्वद् कथा का पाठ अथवा श्रवण करें। एकादशी तिथि को जागरण करने से कई गुणा पुण्य मिलता है अत: रात्रि में भी निराहार रहकर भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें। द्वादशी के दिन प्रात: स्नान करके विष्णु भगवान की पूजा करें फिर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करें पश्चात स्वयं भोजन करें।

इस प्रकार पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते हैं तथा व्रती के सभी पापों का नाश कर देते हैं।

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