यह 2004 से लंबित थी। झारखंड के सुशील को समृद्धि के लिए नौ साल की लड़की बलि चढ़ाने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी। साल 1981 से अब तक 91 लोगों ने माफी के लिए राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाया था। उनमें से कुल 31 याचिकाएं मंजूर हुई। इनमें भी 23 वर्तमान राष्ट्रपति के समय मंजूर हुई।
सुभाष अग्रवाल के इस आवेदन के जवाब में बताया गया है कि राष्ट्रपति के पास अब कुल 18 दया याचिकाएं लंबित हैं। पाटिल ने अलबत्ता अपवाद के तौर पर कुल पांच लोगों की दया याचिका नामंजूर कर दी। इनमें से तीन पूर्व राष्ट्रपति राजीव गांधी के हत्यारों संथानम, मुरुगन और अरवि की थी। इनके अलावा देविंदर पाल सिंह भुल्लर और महेंद्र नाथ दास के आवेदन खारिज किए गए हैं।
सुशील ने मां काली के सामने दी थी चिरकु बेसरा की बलि
11 दिसंबर 1996 जामताड़ा निवासी सोमलाल बेसरा की जिंदगी का सबसे दुखद: दिन था। इस दिन इनका नौ साल का बेटा चिरकु बेसरा लापता था। लोगों से पूछताछ में पता चला कि उनके बेटा को सुशील मुर्मू ने अपनी समृद्धि के लिए मां काली के समक्ष बलि चढ़ा दी है। प्रत्यक्षदर्शियों और गवाहों के अनुसार एक झोले में डालकर सुशील ने चिरकु के सिर को तलाब में फेंक दिया था।
इसके बाद चिरकु के सिर की बरामदगी तालाब से की गई थी। मामले की सुनवाई के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश जामताड़ा ने सुशील को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई। इस सजा को हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा। इस आदेश के खिलाफ सुशील मुर्मू की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद 11 जनवरी 2008 को अपना फैसला सुनाते हुए सुशील की फांसी की सजा को बरकरार रखा। इसके बाद सुशील की ओर से राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की गई थी।
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