मामले की सुनवाई जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की बेंच ने की। कोर्ट ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ को परेशान करने के लिए सरकार की ओर से सौ फीसदी फर्जी मामला गढ़ा गया है। गुजरात सरकार ने तीस्ता के खिलाफ दंगे संबंधी अन्य मामलों को लेकर भी आपराधिक शिकायतें दर्ज कराई हैं। हालांकि उन मामलों पर कोर्ट ने टिप्पणी नहीं की है।
अदालत ने गुजरात सरकार के वकील प्रदीप घोष और स्थायी वकील हेमंतिका वाही को एफआईआर का अध्ययन करने को कहा। सुझाव दिया कि राज्य सरकार को इन और इन जैसे मामलों पर आगे नहीं बढऩा चाहिए। अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी। कोर्ट गुजरात हाईकोर्ट के 27 मई 2011 के आदेश के खिलाफ तीस्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। गुजरात हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से मना कर दिया था।
साल 2002 में पाडरवाड़ा और खानपुर तालुका के आसपास के गावों में दंगों के दौरान मारे गए 28 लोगों के शव एक कब्रिस्तान में दफना दिए गए थे। शवों की शिनाख्त भी नहीं हुई थी। राज्य सरकार के मुताबिक 2006 में बिना अनुमति के उन कब्रों को खोदने की योजना तीस्ता ने ही बनाई थी। साथियों के साथ उसे अंजाम भी दिया था।
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