चतुभरुज मंदिर के अंदर और बाहर का नजारा काफी मनमोहक है। अंदर खुलापन है, जबकि बाहर प्राकृतिक खूबसूरती है। साथ ही भव्य मंदिर को देखने जो भी पर्यटक जाता है, वह उसकी यादों में खो जाता है। ओरछा ग्वालियर से 15 किमी. की दूरी पर स्थित है और पर्यटकों का प्रमुख केंद्र है। इसलिए आप भी एकबार इस मनोरम जगह जाने के बारे में जरूर सोचें।
पर्यटन की दृष्टि से मध्यप्रदेश काफी समृद्ध राज्य है। यहां भारी संख्या में धार्मिक प्रवृत्ति के लोग आते हैं। ओरछा, मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित है। यहां स्थित चतुभरुज मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा होती है।लेकिन इसके पीछे एक बहुत ही मजेदार किस्सा है। इस मंदिर को 1558 ई. से 1573 ई. के बीच राजा मधुकर शाह द्वारा बनवाया गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार ओरछा के तत्कालीन महाराज मधुकर शाह बांके बिहारी यानि भगवान कृष्ण के उपासक थे, जबकि महारानी भगवान राम की उपासना करते थे। इस बात को लेकर दोनों के बीच काफी विवाद होता था।
एक दिन महारानी ने यह निर्णय किया कि वे अपने प्रदेश में भगवान राम की स्थापना करवाएंगी। इसी कारण वे राजा को बिना बताए अयोध्या निकल गईं, जहां घोर तपस्या करने के बाद भगवान राम उनके साथ बाल अवस्था में चलने को राजी हो गए। ओरछा छोड़ने से पहले महारानी ने अपने सेवकों को चतुभरुज मंदिर का निर्माण करवाने का आदेश दिया था। उधर जब राजा को रानी के चले जाने का पता चला, तो उन्होंने उनकी अनुपस्थिति में चतुभरुज मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा करवाया।
कुछ साल बाद रानी भगवान राम को लेकर ओरछा पहुंची और अपने महल में रखा। जब चतुभरुज मंदिर में उनकी स्थापना की बात हुई, तो भगवान राम ने महल छोड़ने से इंकार कर दिया। इसके बाद उनकी स्थापना वहीं हुई और रानी का महल राम राज मंदिर बन गया। अब चूंकि चतुभरुज मंदिर बनकर तैयार हो गया था, तो वहां राजा और रानी ने मिलकर भगवान विष्णु की स्थापना करवाई। इसके बाद से वहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
ye kahani bahut purani hai sabko pata hai samjhe BEWKOOF
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