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01 फ़रवरी 2012

आखिर क्या है खास, जो इन पेंटिग्स के करोड़ों के लगे दाम

मंडी . दो सदियों के अंतराल के बाद एक बार फिर से पहाड़ी चित्रकला का जादू छाने लगा है। क्रिएटिव इंडिया सीरीज के तहत देश के नामी नीलामी हाउस ओसियन की ओर से आयोजित नीलामी में पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग्स का जादू सिर चढ़ कर बोला।

दिल्ली में आयोजित आर्ट वर्क के काम की इस नीलामी में चित्रकार तोयब मेहता की 1966 में बनाई गई दो कांगड़ा पेंटिंग्स की बोली एक करोड़ पांच लाख से ज्यादा लगी। कांगड़ा स्कूल ऑफ पेंटिंग की हरिवंश खेल श्रंखला की एक पेंटिंग और गुलेर स्कूल ऑफ पेंटिंग की महाभारत श्रंखला की एक पेंटिंग शामिल है।

ओसियन नीलाम घर के अध्यक्ष नेविल तुली के अनुसार पहाड़ी मिनिएचर की इन दोनों कृतियों की बराबर बोली लगी और प्रति कृति 5 लाख 28 हजार रुपए की बोली लगी। इस नीलामी में सबसे महंगी बोली तोयब मेहता की ही कलाकृतियों के लिए लगी। नीलामी में शामिल उनकी कृतियों में पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग के अलावा पंजाब और दिल्ली और समकालीन चित्रकला पर आधारित आर्ट वर्क भी शामिल था।

तोयब मेहता की 1966 में निर्मित कृतियों के लिए कुल 2 करोड़ 28 लाख की बोली लगी । पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग अपने सुनहरे दिनों की ओर लौटने शुरू हो गई है। इसी साल देश की सरकार ने अपनी तरह की इस अनोखी कला के संरक्षण और संवर्धन के लिए चंबा के चित्रकार विजय शर्मा को पदम श्री देने की घोषणा की है।

गीतकार गुलजार की फिल्मों पर मिनिएचर पेंटिंग्स की श्रंखला बन चुकी है। उधर आर्ट वर्क के कारोबार में भी मिनिएचर पेंटिंग्स के लिए दीवानगी बढ़ने लगी है।

पहाड़ी चित्रकला हिमालय के तराई में स्थित विभिन्न क्षेत्रों में विकसित हुई। पांच नदियों-सतलुज, रावी, ब्यास, झेलम और चिनाब का क्षेत्र पंजाब और अन्य पर्वतीय केंद्रों जैसे जम्मू, कांगड़ा, गढ़वाल में विकसित इस चित्रकला शैली के चित्रों में प्रेम का विशिष्ट चित्रण होता हैं।

कृष्ण-राधा के प्रेम के चित्रों के माध्यम से इनमें स्त्री-पुरुष प्रेम संबंधों को बड़ी बारीकी एवं सहजता से दर्शाने का प्रयास किया गया है। भागवत पुराण और गीत गोविंद के गीतात्मक पद्यों में अभिव्यक्त कृष्णलीलाओं के साथ अन्य हिंदू पौराणिक कथाएं, नायक-नायिकाएं रागमाला श्रंखलाएं और पहाड़ी मुखिया और उनके परिवार चित्रकला के आम विषय थे।

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