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02 फ़रवरी 2012

एक ऐसा ‘राजमहल’ जहां होती है लाल पत्थरों की बरसात


सूरजपुरा.अजमेर और टोंक जिले के सीमांत छोर पर पहाड़ी तलहटी में बसी कंजर बस्ती राजमहल ‘प्रेतात्मा’ के खौफ से खाली हो गई है। 21वीं सदी में भी अंधविश्वास जकड़े लोगों ने बस्ती वीरान छोड़कर काफी दूर अस्थाई आशियानों में शरण ली है।

पिछले एक सप्ताह से यहां भूत-प्रेत के कथित आतंक से सहमे लोग सामान सहित पलायन कर रहे हैं। गांव के मुखिया 105 वर्षीय बाबूलाल मानते हैं कि राजमहल में टोने के प्रभाव से चार लोगों की मौत हो गई है। रात में यहां लाल पत्थरों की बरसात हो रही है।

बस्ती में अकस्मात सुनाई देने वाली तेज आवाजें तथा तेज हवा के झौंकों का अहसास होने से लोग दहशत में हैं। दूसरी ओर टोंक जिला प्रशासन ने मामला गंभीर मानते हुए राजमहल में बुधवार को प्रशासनिक अधिकारियों की टीम भेज दी। गुरुवार को चिकित्सा टीम भी पहुंच गई।

समझाइश करने के बावजूद बस्ती में बसने के लिए कोई तैयार नहीं हो रहा है। राजमहल में करीब 125 से अधिक मकान हैं। लोग पक्के और दुमंजिला पैतृक घरों से दरवाजे और खिड़कियां तोड़कर अपने साथ ले जा रहे हैं। बीएसएफ छत्तीसगढ़ में तैनात अभित कंजर व राजस्थान पुलिस सेवा में नियुक्त सुरेश कंजर पढ़े-लिखे होने के बावजूद अंधविश्वास के साये से प्रभावित हैं।

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