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06 फ़रवरी 2012

गुरु नानक की यह सच्चाई आपको शायद नहीं होगी पता


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पंजाब की भूमि वीर योद्धाओं के शौर्य गाथाओं और मानवता के लिए सर्वस्व त्याग देने वाले लोगों की कहानियों से भरी है। इसी प्रांत में सिख धर्म का उदय हुआ और यह देश- दुनिया तक फैला। इन कहानियों के स्वर्णभंडार से हम आपके लिए कुछ ऐसी कहानियां लेकर आए हैं जो सिख धर्म गुरुओं से संबंधित है। पेश है गुरु नानक के बचपन की कुछ बातें-

गुरु नानक का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को हुआ था। उनके पिता मेहता कलियानदास बेदी लाहौर से चालीस मील दूर तलवंडी राय भोए नामक गांव में रहते थे। इस जगह को अब ननकाना साहिब कहते हैं। उनके पिता खजांची का काम करते थे। संभवत: अपनी बड़ी बहन नानकी की तरह नानक अपनी मां तृप्ता के मायके में पैदा हुए थे और इसीलिए अपने नानके के नाम पर उनका नाम नानक रख दिया गया होगा।

नानक एक असाधारण रूप से विकसित शक्तियों वाले बालक थे। पांच साल की उम्र में ही उन्होंने जीवन के लक्ष्य के बारे में प्रश्न पूछने शुरू कर दिए थे। सात साल की उम्र में उन्हें एक पंडित के पास अक्षर-ज्ञान और अंकगणित पढ़ने के लिए भेजा गया और दो साल बाद, एक मुस्लिम मुल्ले के पास फारसी और अरबी पढ़ने के लिए। उन्हें पढ़ने-लिखने में अधिक रुचि नहीं थी। वे अपना समय धार्मिक लोगों के साथ वाद-विवाद में या फिर एकांत में बिताने लगे, अपने हृदय के रहस्यों को बिना किसी को बताए।

बारह वर्ष की आयु में उनका विवाह बटाला के मूलचंद चोना की बेटी सुलखनी से हो गया। विवाह भी उनका ध्यान सांसारिक बातों की ओर नहीं फेर सका। वे सांसारिक काम तो करने लगे, लेकिन उनका मन उनमें नहीं रमता था। घर-गृहस्थी में वे कोई रुचि नहीं लेते थे। उनके परिवार की शिकायत रहती कि आजकल वे फकीरों के साथ घूमते रहते हैं।

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