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15 फ़रवरी 2012

ईरान की धमकी के बाद आगे बढ़ी अमेरिकी नौसेना


तेहरान. ईरान ने पश्चिमी देशों के खिलाफ बुधवार को सख्त रुख अपना लिया। दुनिया के देशों को धता बताते हुए उसने न केवल एटमी कार्यक्रम की सफलता का एलान किया। बल्कि यूरोपीय देशों की तेल सप्लाई रोकने की धमकी भी दे दी। इस धमकी के बाद अमेरिकी नौसेना अपने युद्धक बेड़ों के साथ हरमुज स्ट्रेट को पार कर आगे बढ़ गए।

ईरानी टीवी चैनल ने बाकायदा घोषणा कर दी कि तेल सप्लाई रोक दी गई है। हालांकि रात को सरकार की ओर से कहा गया कि ऐसा कोई फैसला होगा तो ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद उसकी घोषणा करेगी। उधर ईरानी राष्टपति अहमदीनेजाद ने चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिका बेवजह की धमकी देता रहता है। उसमें अब कोई दम नहीं बचा है। जरूरत पड़ी तो ईरान उसे सबक भी सिखा सकता है। हमने परमाणु उपलब्धि हासिल की है। इसका मतलब यह नहीं कि हम बम बना रहे हैं। हमें उकसाया नहीं जाए।

बहरहाल, ईरान की तेल युद्ध की इन धमकियों की वजह से वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आ गया। तनाव की एक और बड़ी वजह ईरान के पास एटमी हथियार होना, चीन-रूस के उसके पक्ष में होना भी है।

बुधवार को क्या हुआ?

ईरान में ही बने परमाणु ईंधन रॉड्स को एक शोध रिएक्टर में लोड किया गया। ईरान इसे सबसे बड़ी कामयाबी बता रहा है। ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष अल बघेरी ने कहा पश्चिमी देश ईरान की मदद नहीं कर रहे हैं। ऐसे में ईरान ने खुद ही परमाणु ईंधन विकसित कर लिया है। यूरोपीय देशों नीदरलैंड, इटली, स्पेन, यूनान, पुर्तगाल और फ्रांस की तेल आपूर्ति बंद करने की खबर।

झगड़े की जड़?

जो कहा: अमेरिका, इजराइल का मानना है कि ईरान एटमी हथियार बना रहा है। ये सारी तैयारी इजराइल पर हमले के लिए है।

अनकहा: ईरान दुनिया का चौथा सबसे बड़़ा तेल उत्पादक देश है। इराक, कुवैत के तेल कुओं पर कब्जे वाला फॉर्मूला अमेरिका यहां भी आजमाना चाहता है। लेकिन रूस, चीन और भारत का साथ नहीं मिलने की वजह से वह सीधी कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। क्यों नाराज है ईरान ईरान पर एटमी तैयारियों का आरोप लगाते हुए अमेरिका के प्रभाव वाले यूरोपीयन संघ ने ईरान से तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा भारत सहित कई देशों में इजराइली नागरिकों पर हमले तेज हुए हैं। इसका सीधा आरोप ईरान पर है। क्या फर्क पड़ेगा? ईरानी संसद के ऊर्जा आयोग सदस्य नसीर सुडानी ने कहा कि ईरान पर प्रतिबंध लगाने वाले देश अब हमसे एक बूंद भी तेल नहीं पा सकेंगे

अहमदीनेजाद की धमकी

राष्‍ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने राष्‍ट्र के नाम संबोधन में अमेरिका सहित पश्चिमी देशों को चुनौती भी दी। उन्‍होंने अमेरिका और पश्चिमी देशों को 'घमंडी ताकतें' हैं और उन्‍हें सबक सिखाना होगा । अपने संबोधन में राष्ट्रपति अहमदीनेजाद ने कहा कि परमाणु का मतलब सिर्फ बम ही नहीं होता। ईरान अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु कार्यक्रम पर आगे बढ़ रहा है और उसे अब रोका नहीं जा सकता। अहमदीनेजाद ने कहा कि हमने आईएईए (अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संगठन) से मदद मांगी थी लेकिन उसने मदद नहीं की तो हमने खुद ही परमाणु ईधन विकसित कर लिया। ज्ञान और विज्ञान पर किसी एक देश का एकाधिकार नहीं हो सकता। ईरान आगे बढ़ रहा है और घमंडी ताकतें उसे अब नहीं रोक सकती। ईरान के खिलाफ दुष्प्रचार हो रहा है लेकिन उससे अब कुछ नहीं होगा। अमेरिका अब ताकतवर नहीं है, दुनिया अब बदल रही है, घमंडी ताकतों का एकाधिकार अब नहीं चलेगा। (विस्‍तार से पढ़ने के लिए रिलेटेड लिंक पर क्लिक करें)
सहमा अमेरिका

ईरान की इस ताजा उपलब्धि से पश्चिमों देशों का डर और बढ़ गया है। ईरान के इस कदम से बौखलाए ओबामा प्रशासन ने अनुरोध किया है कि सभी देश ईरान से नाता तोड़ लें और उसे अलग-थलग कर दें। इजराइल, अमेरिका और यूरोपीय देश नहीं चाहते कि ईरान परमाणु हथियार हासिल करे। दिसंबर 2011 में अमेरिका और कई अन्य देशों ने ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों को और कड़ा करने की घोषणा की थी। अहमदीनेजाद ने हाल में 1979 की क्रांति की याद में हुए एक समारोह में कहा था कि जल्द ही ईरान दुनिया को कुछ बड़ा करके दिखाएगा।

पूरे विवाद में हम कहां?

खेमेबाजी

ईरान के खिलाफ: अमेरिका, इजराइल, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, स्पेन, तुर्की, पुर्तगाल, नीदरलैंड, ऑस्टे्रलिया, कनाडा।

पक्ष में कौन? चीन, रूस, उत्तर कोरिया, ब्राजील।

तटस्थ कौन? भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, पाकिस्तान। हालांकि जापान ने ईरानी बैंकों से लेन-देन,ऊर्जा क्षेत्र में निवेश जबकि द. कोरिया ने कुछ ईरानी कंपनियों पर बैन लगाए हैं।

सौदेबाजी

: ईरान के खिलाफ खड़े देश अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और व्यापारिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी गठबंधन के साथ हैं।

: पक्ष में खड़े देश यानी चीन और रूस निजी तौर पर अमेरिका से दुश्मनी के चलते ईरान का साथ दे रहे हैं।

: जबकि भारत, जापान जैसे विकासशील देश अपनी निर्भरता के चलते ईरान से दुश्मनी नहीं लेना चाहते।

: फिलहाल हमारे ईरान के साथ संबंध अच्छे हैं। इसलिए सीधे तौर पर हम पर इसका असर नहीं पड़ेगा।

: लेकिन पश्चिमी देशों के साथ ईरान का तनाव लंबा चला तो हम प्रभावित हो सकते हैं। क्योंकि ये देश फिर दबाव डालेंगेे कि हम ईरन से तेल लेना बंद कर दें।

: हमारे लिए बड़े देशों को नाराज करना और अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन करना आसान नहीं होगा।

: ऐसी स्थिति में तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए सऊदी अरब पर हमारी निर्भरता बढ़ जाएगी। तय है, ऐसी स्थिति में देश में ईंधन और महंगा हो सकता है।

हमें कहां से कितना तेल

देश आयात (करोड़ टन)

सऊदी अरब 2.73

ईरान 1.84

इराक 1.71

नाइजीरिया 1.58

संयुक्त अमीरात 1.47

देश आयात (करोड़ टन)

कुवैत 1.14

वेनेजुएला 1.02

अंगोला 0.96

कतर 0.56

ओमान 0.54

तेल का खेल

बुधवार को बेंट क्रू ड ऑयल की कीमत १.२८ डॉलर बढ़कर 120 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। यह ६ माह का उच्चतम है।

: विश्व तेल उत्पादन में ईरान की हिस्सेदारी 4.9 प्रतिशत है।

: यूरोप 18 प्रतिशत कच्चा तेल ईरान से आयात करता है।

: इसका 68 प्रतिशत हिस्सा ग्रीस, इटली और स्पेन को जाता है।

: भारत 13 प्रतिशत तेल ईरान से आयात करता है।

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