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23 फ़रवरी 2012

महीने में दो दिन बिना खाना खाए रहना चाहिए, क्योंकि...


क्या आप जानते हैं हमारे जीवन का पहला सुख क्या है? शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार पहला सुख निरोगी काया को बताया गया है। निरोगी काया का अर्थ है स्वस्थ शरीर। यदि किसी व्यक्ति का शरीर स्वस्थ नहीं होगा तो वह दुनिया के किसी भी सुख को नहीं भोग सकता। हमारे जीवन के समस्त सुखों का आनंद प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि हमारा शरीर पूरी तरह से निरोगी रहे। शास्त्रों के अनुसार शरीर को बीमारियों से दूर रखने के लिए कई उपाय बताए गए हैं इन्हीं उपायों में से एक है व्रत-उपवास।

अधिकांश बीमारियां खाने-पीने की वस्तुओं और पेट से संबंधित होती है, अत: इन बातों की विशेष ध्यान देने आवश्कता होती है। यदि हमारा पाचन तंत्र व्यस्थित और स्वस्थ रहेगा तो काफी हद तक हम बीमारियों पर रोक लगा सकते हैं। पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि हम एक महीने में कम से कम दो बिना खाना खाए रहें। इसी बात का ध्यान रखते हुए प्राचीन काल से ही व्रत-उपवास रखने की परंपरा बनाई गई है। ताकि व्यक्ति व्रत-उपवास के नाम पर शरीर के पाचन तंत्र को आराम दे।

व्रत-उपवास का धार्मिक महत्व भी है। व्रत का अर्थ है संकल्प या दृढ़ निश्चय तथा उपवास का अर्थ ईश्वर या इष्टदेव के समीप बैठना भारतीय संस्कृति में व्रत तथा उपवास का इतना अधिक महत्व है कि हर दिन कोई न कोई उपवास या व्रत होता ही है। सभी धर्मों में व्रत उपवास की आवश्यकता बताई गई है। इसलिए हर व्यक्ति अपने धर्म परंपरा के अनुसार उपवास या व्रत करता ही है। वास्तव में व्रत उपवास का संबंध हमारे शारीरिक एवं मानसिक शुद्धिकरण से है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है।

कब करें व्रत-उपवास- हर महीने दो एकादशी रहती हैं, शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत अक्षय पुण्य प्रदान करता है। अत: हर माह में दोनों ही एकादशी का व्रत करना चाहिए। अर्थात् इन दो दिनों में बिना खाना खाए रहना चाहिए। फलाहार किया जा सकता है। इसके अलावा प्रति रविवार को बिना नमक का खाना खाएंगे तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी रहेगा। किसी-किसी दिन दूध और फलाहार करके भी रहना चाहिए।

व्रत उपवास से शरीर स्वस्थ रहता है। निराहार रहने, एक समय भोजन लेने अथवा केवल फलाहार से पाचनतंत्र को आराम मिलता है। इससे कब्ज, गैस, एसिडीटी अजीर्ण, अरूचि, सिरदर्द, बुखार, आदि रोगों का नाश होता है। आध्यत्मिक शक्ति बढ़ती है। ज्ञान, विचार, पवित्रता बुद्धि का विकास होता है। इसी कारण उपवास व्रत को पूजा पद्धति को शामिल किया गया है।

किन लोगों को व्रत-उपवास नहीं करना चाहिए- सन्यासी, बालक, रोगी, गर्भवती स्त्री, वृद्धों को उपवास करने पर छूट प्राप्त है।

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