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08 फ़रवरी 2012

भगवान शिव की पत्नी ने नाग को हरा, हमें दिया कश्मीर के स्वर्ग का तोहफा

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प्राचीनकाल में कश्मीर में हिन्दू और बौद्ध संस्कृतियों का बोल बाला रहा है। कहा जाता है कि भगवान शिव की पत्नी देवी सती यहां रहती थीं। यहां चारो तरफ केवल पानी ही पानी था।

बताया जाता है कि यहां एक राक्षस नाग भी रहता था, जिसे वैदिक ऋषि कश्यप और देवी सती ने मिलकर हरा दिया। इसके बाद ज्यादातर पानी वितस्ता (झेलम) नदी के रास्ते बहा दिया। इस तरह इस जगह का नाम सतीसर से कश्मीर पड़ा। इससे अधिक तर्कसंगत प्रसंग यह है कि इसका वास्तविक नाम कश्यपमर (अथवा कछुओं की झील) था। इसी से कश्मीर नाम निकला।

कश्मीर का अच्छा-ख़ासा इतिहास कल्हण (और बाद के अन्य लेखकों) के ग्रंथ राजतरंगिणी से मिलता है । प्राचीन काल में यहां हिन्दू आर्य राजाओं का राज था ।

मौर्य सम्राट अशोक और कुषाण सम्राट कनिष्क के समय कश्मीर बौद्ध धर्म और संस्कृति का मुख्य केन्द्र बन गया । पूर्व-मध्ययुग में यहां के चक्रवर्ती सम्राट ललितादित्य ने एक विशाल साम्राज्य क़ायम कर लिया था। कश्मीर संस्कृत विद्या का विख्यात केन्द्र रहा।

कश्मीर शैवदर्शन भी यहीं पैदा हुआ और पनपा। यहां के महान मनीषीयों में पतञ्जलि, दृढबल, वसुगुप्त, आनन्दवर्धन, अभिनवगुप्त, कल्हण, क्षेमराज आदि हैं। यह धारणा है कि विष्णुधर्मोत्तर पुराण एवं योग वासिष्ठ यहीं लिखे गये।

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