शांत, सुखी, संपन्न व सफल जीवन का एक अहम सूत्र है - वक्त की कद्र करना यानी जीवन से जुड़े अहम लक्ष्यों को बिना वक्त गंवाए सही सोच, योजना व चेष्टा के साथ पाते चले जाना। शास्त्रों में भी मन, वचन और कर्म से किसी भी तरह के आलस्य दरिद्रता माना गया है, जो असफलता व अनचाहे दु:ख का कारण बनती है।
आलसीपन या कर्महीनता में डूबे व्यक्ति को समय का मोल समझाने व जीवन को सफल बनाने के लिए संत कबीरदास ने बहुत ही सीधी नसीहत देकर चेताया है। लिखा गया है कि -
पाव पलक की सुधि नहीं, करै काल का साज।
काल अचानक मारसी, ज्यों तीतर को बाज॥
भाव यही है कि जीवन अनिश्चित है। जिसमें पल भर में क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसलिए किसी भी काम को टालने या अगले दिन करने की सोच या आदत बड़े नुकसान या पछतावे का कारण बन सकती है। क्योंकि मृत्यु भी अटल सत्य है, जो सांसों को अचानक वैसे ही थाम देती है, जैसे बाज, तीतर पर अचानक वार कर उसे ले उड़ता है।
संत कबीर का दर्शन यही है कि जीवन में कर्म, परिश्रम व पुरुषार्थ को महत्व दें व पल-पल का सदुपयोग करें। साथ ही जाने-अनजाने हुए अच्छे-बुरे कामों का मंथन करते रहें।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 फ़रवरी 2012
सावधान! अगले दिन पर न टालें काम, क्योंकि..
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