आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

06 फ़रवरी 2012

यहां नहीं आती हैं बहुएं, क्योंकि झाड़ू लगने से मरहूम है यह नगरी

| Email Print Comment
कोटा.कोटा नगर निगम के वार्ड 22 में आदर्श नगर (साजीदेहड़ा) के 20 परिवारों के बेटे महज इसलिए कुंवारे हैं क्योंकि उनके घरों के बाहर 12 साल से कभी झाडू लगाने वाला नहीं पहुंचा। जिनकी जैसे-तैसे शादियां हुई, किसी की पत्नी मायके जा बैठी तो कोई बुजुर्ग सास-ससुर को छोड़ पति के साथ दूसरी जगह किराए पर रहने लगी।

यहां के रहवासी दहलीज से बाहर फूंक-फूंक कर कदम रखते हैं। यहां जरा भी ध्यान चूकने पर 4-5 फीट गहरे दलदल में धसने का खतरा रहता है। दुर्गंध भरे माहौल में रहने वाले यहां के लोगों की बारिश के दिनों में परेशानी और भी बढ़ जाती है।

महापौर से लेकर यूआईटी अधिकारियों तक को यहां के पीड़ित कई बार गुहार लगाने के साथ-साथ अदालत का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं, बावजूद स्थाई समाधान नहीं मिल पा रहा। लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

बरसों से जीवन बसर करने वाले इन परिवारों में से कई को तो यूआईटी ने पट्टे भी जारी कर दिए, ऐसे में ये घरों को छोड़ भी नहीं सकते। यहीं की 64 वर्षीय मुन्नीबी ढलती उम्र में चिंतित हैं, आखिर वो दिन कब आएगा, जब उसके घर बेटी देने की आस में आने वाले पावणो समधी बनने में झिझक महसूस नहीं करेंगे।

छोटे बेटे नसीम(23) उर्फ सन्नी को दुल्हन मिल सकेगी और इसी गंदगी से परेशान होकर रूठकर मायके जा बैठी बड़ी बहू घर लौटेगी

प्रशासन नहीं सुन रहा

25 वर्षीय वसीम अहमद ने बताया मेरी शादी 8 महीने पहले हुई, लेकिन थोड़े दिन बाद ही पत्नी दलदल व कीचड़ से परेशान होकर मायके चली गई। ससुराल वाले कहते हैं कि पहले नाले की समस्या का समाधान करवाओ, फिर बेटी भेजेंगे। कई बार महापौर व यूआईटी अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन कुछ भी समाधान नहीं हुआ।

जनाजा भी ठीक से नहीं निकाल सके

राशिदा बताती हैं कि 6 माह पहले उनके अब्बू मोहम्मद रफीक का इंतकाल हुआ। घर से गली के बाहर तक जनाजा भी बड़ी मुश्किल से निकला। हमीदा बेगम(65) ने बताया कि उनके दो बेटे है। बड़े बेटे शफी की शादी हुई तो बहू कुछ दिन बाद बेटे के साथ किराए का मकान लेकर दूसरी जगह रहने लगी। गोपालसिंह(62) ने बताया कि दरुगधभरे माहौल में जीना दूभर है। मकान धसने लगे है।

जनाजा भी ठीक से नहीं निकाल सके

राशिदा बताती हैं कि 6 माह पहले उनके अब्बू मोहम्मद रफीक का इंतकाल हुआ। घर से गली के बाहर तक जनाजा भी बड़ी मुश्किल से निकला। हमीदा बेगम(65) ने बताया कि उनके दो बेटे है। बड़े बेटे शफी की शादी हुई तो बहू कुछ दिन बाद बेटे के साथ किराए का मकान लेकर दूसरी जगह रहने लगी। गोपालसिंह(62) ने बताया कि दरुगधभरे माहौल में जीना दूभर है। मकान धसने लगे है।

अदालत के आदेश भी हवा

मामले में यहीं के सत्यनारायण ने अदालत में 2007 में याचिका भी लगाई। अदालत ने यूआईटी सचिव व महापौर को आदेश दे सरकारी रास्ते की साफ सफाई कर आवागमन योग्य बनाने के आदेश दिए थे। बावजूद इसकी पालना नहीं करवाई जा सकी।

दुबारा नए सिरे से दिखवाते है, समाधान करवाएंगे

मामले में यूआईटी सचिव रामदयाल मीणा ने बताया कि यह मामला पहले भी सामने आया था। दुबारा नए सिरे से इस समस्या को दिखवाकर समाधान करवाया जाएगा। वहीं, महापौर रत्ना जैन ने बताया कि मेरी जानकारी में ऐसी कोई बात नहीं आई है। कल ही मामला दिखवाती हूं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...