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18 फ़रवरी 2012

मेरठ में पकड़ा गया निठारी जैसा नरपिशाच




नई दिल्‍ली/मेरठ. यूपी के मेरठ जिले में बच्‍चा चुराने वाले एक अंतरराज्‍यीय गिरोह का पता चला है। इस गिरोह के सदस्‍य नरभक्षी बताए जाते हैं। पता चला है कि मनमाफिक पैसा नहीं मिलने पर गिरोह के सदस्‍य अगवा किए गए बच्‍चों को भून कर खा जाया करते थे। यह घटना नोएडा के निठारी कांड की याद दिलाती है।

परतापुर के गांव भूड़बराल में शुक्रवार को गांववालों ने एक बच्चे सादिक को अगवा करके ले जाते एक संदिग्‍ध युवक को धर दबोचा। पकड़े गए व्यक्ति ने अपना नाम अमरजीत बताया। वह साहिबाबाद का रहने वाला है। पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों ने अमरजीत की जम कर पिटाई की और उसके कब्‍जे से बच्‍चे को छुड़ा लिया।

मेरठ रेंजके आईजी राजीव कृष्णा ने dainikbhaskar.com से कहा, 'शुक्रवार को गांव वालों ने अमरजीत को पकड़कर पुलिस को सूचना दी थी। पूछताछ के दौरान यह शख्स पागलों जैसी हरकतें कर रहा है। यह लगातार अपना बयान बदल रहा है। आरोपी को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल भेजा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। मामले की जांच के लिए पुलिस की एक विशेष टीम गठित कर दी गई है, जो यूपी और दिल्ली के विभिन्न जगहों पर छापा मारकर सच्चाई का पता लगा रही है।'

अजनबी को देख हुआ शक

भूड़बराल के गांववालों को सादिक को एक अजनबी के साथ जाते देखकर शक हुआ। पांच दिन पहले उसी जगह खेलते हुए गांव का एक और बच्‍चा गायब हो गया था, जिसका अभी तक कोई पता नहीं चल सका है। एक दिन पहले गुरुवार को मेडिकल क्षेत्र में एक बच्चे को अगवा करने की कोशिश की गई थी। इसके अलावा एक महीने पहले परतापुर के काशी गांव में एक बच्चे का कंकाल मिलने के चलते भी इलाके के लोग सहमे हुए थे। ऐसे में गांववालों ने सादिक को ले जा रहे अपरिचित शख्‍स को दबोच कर उसकी पिटाई शुरू कर दी।


दिल्‍ली, हरियाणा तक फैला है जाल
अमरजीत ने बताया कि वह बच्चों को अगवा करने वाले गिरोह का सदस्य है। वह दस हजार रुपये में बच्चे को उठाने का काम करता है। उसने बताया कि चलती ट्रेन में बच्चे का सौदा होता था। जब बच्चों की सही कीमत नहीं मिलती, तो गिरोह के लोग बच्चों को मार डालते हैं और उनके टुकड़े-टुकड़े कर भून कर खा जाते हैं। उसने बताया कि लाल रंग की कार में सवार गिरोह के कुछ अन्‍य लोग हाईवे पर खड़े थे, जो मामले का भंडाफोड़ होने के बाद भाग गए थे।

एक और लापता बच्‍चे की फोटो दिखाने पर अमरजीत ने उसे बेचने की बात भी कुबूल की। आरोपी युवक ने बताया कि वह आसपास के गांवों से कई बच्चों का अपहरण कर चुका है। वह बच्चों का अपहरण करके दिल्ली में मोटी रकम लेकर बेचते हैं। अमरजीत ने बताया कि गिरोह में डेढ़ सौ से ज्यादा युवक बच्चा उठाने का काम करते है। वह सभी अन्य जिलों में रहते है। इनका नेटवर्क यूपी, हरियाणा और दिल्ली तक फैला हुआ है। शुक्रवार को उसके साथ पांच से छह युवक थे। वह सभी कार में गांव में आए थे।

फोन करने वाले ने पूछा- काम हो गया?

गांववालों ने पुलिस को अमरजीत के हवाले कर दिया। गांववालों को अमरजीत की जेब से एक मोबाइल फोन मिला है। ऐसे में वे उसे पागल नहीं मान रहे। उनका मानना है कि पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। जब भीड़ ने बच्चा चुराने वाले आरोपी को दबोचा तो उसके पास से एक मोबाइल फोन भी मिला। भीड़ में एक य़ुवक ने फोन सुना तो वहां से फोन आया है कि क्या काम हो गया? जिसके चलते लोगों का शक और गहरा गया।

डीसीआरबी के प्रभारी प्रमोद शर्मा ने बताया कि अब तक जिले के सभी थानों से 89 बच्चों की मिशिंग है। लापता लोगों की संख्या में बढ़ोतरी के चलते पिछले दोनों मिसिंग सेल का गठन किया गया था। लेकिन समय के साथ-साथ मिसिंग सेल भी खो गया।

क्‍या हुआ था निठारी में?

29 दिसंबर 2006 को नोएडा स्थित निठारी गांव में एक मकान के नाले से आठ बच्चों के कंकाल की बरामदगी हुई थी। मकान मालिक मनिंदर सिंह पंढेर और नौकर सुरिंदर कोली को बच्चों के साथ घिनौनी हरकत करके मार देने की बात सामने आई थी। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

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