नई दिल्ली. 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में मौजूदा केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम की भूमिका की जांच होगी या नहीं या फिर वे सह अभियुक्त बनाए जाएंगे या नहीं, इस पर ट्रायल कोर्ट 4 फरवरी को फैसला सुना सकता है।
चिदंबरम पर क्या हैं आरोप
-राजा पुरानी दरों पर स्पेक्ट्रम बेचना चाहते थे, चिदंबरम ने इजाजत दी।
-अफसर चाहते थे कि ग्रोथ के आधार पर फीस तय हो। राजा ने मना किया। चिदंबरम ने भी राजा का ही साथ दिया।
-राजा स्पेक्ट्रम की लिमिट बढ़ाकर अपनों को फायदा पहुंचाना चाहते थे। चिदंबरम ने कोई आपत्ति नहीं जताई।
चिदंबरम की मुश्किल दो बड़ी वजहें
राजा का बयान
ए राजा ने सीबीआई कोर्ट में कहा था कि 2जी के लाइसेंस बांटने में चिदंबरम भी उतने ही जिम्मेदार हैं जितना मुझे बताया जा रहा है। राजा ने पूछा था कि चिदंबरम उस समय चुप क्यों रहे जब वित्त सचिव डी. सुब्बाराव ने आपत्ति दर्ज कराई कि राजा स्पेक्ट्रम की कीमत सही तरह से नहीं लगा रहे?
वित्त मंत्रालय की चिट्ठी
प्रणब के मंत्रालय से 25 मार्च 2011 को पीएमओ को चिट्ठी भेजी गई थी। इसमें कहा गया था कि चिदंबरम चाहते तो घोटाला रोका जा सकता था। 30 जनवरी 08 को राजा के साथ मीटिंग में चिदंबरम ने पुरानी दरों पर स्पेक्ट्रम बेचने की अनुमति दे दी। यह चिट्ठी स्वामी ने कोर्ट में बतौर सबूत पेश की है।
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