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19 फ़रवरी 2012

57 साल बाद महाशिवरात्रि पर महासंयोग

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रायपुर.माह फाल्गुन, पक्ष कृष्ण, तिथि चतुर्दशी, नक्षत्र श्रवण और योग अमृत उस पर दिन सोमवार। महाशिवरात्रि पर ऐसा संयोग बना है 1955 के बाद पहली बार। वैसे 10 साल बाद महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रवण नक्षत्र और अमृत सिद्धि योग बना है।
तीन साल बाद सोमवार को महाशिवरात्रि पड़ रही है। इन सभी संयोगों की वजह से इस बार की महाशिवरात्रि का महत्व बढ़ गया है। पं. प्रियाशरण त्रिपाठी ने बताया कि 20 फरवरी को सुबह 3.31 मिनट से चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी।
यह 21 फरवरी की सुबह 3.05 बजे तक रहेगी। इसके बाद अमावस्या तिथि शुरू होगी। नियमानुसार रात में पड़ने वाली चतुर्दशी और अमावस्या को महाशिवरात्रि मनाने का विधान है। इसका उपवास त्रयोदशी से शुरू होता है। महाशिवरात्रि में इस बार दिन सोमवार, श्रवण नक्षत्र, अमृत और सिद्धि योग बन रहा है।
इसकी वजह से महाशिवरात्रि दुर्लभ संयोग लेकर आ रही है। उन्होंने कहा कि साधक एक दिन पहले एक समय का भोजन करे। दूसरे दिन सुबह शिव मंदिर में उत्तर दिशा की ओर मुंह कर भगवान शिव के पूजन का संकल्प ले। रात में भगवान शिव का उनके परिवार सहित पूजन करने से सभी कष्टों का निवारण होगा। सकल मनोरथ सिद्ध होंगे और भगवान शिव की कृपा बनी रहेगी।
इसलिए मनाई जाती है महाशिवरात्रि
मां महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। दोनों ने इस दिन गृहस्थ आश्रम में प्रवेश किया था। इसी अवसर पर यह पर्व मनाया जाता है।

राहू और कालसर्प से निवारण
संस्कृत महाविद्यालय के वेद विभाग के अध्यक्ष पं. रामकिशोर मिश्रा ने बताया कि कालसर्प योग, राहू काल से पीड़ित, कैरियर में बाधा और संतानहीन लोगों को महाशिवरात्रि के दिन कांसे के पात्र में तिल भरकर उसमें चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा रखकर दान करना चाहिए। इससे सभी तरह के कष्टों का निवारण होता है।
पूजन के मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दौरान किसी भी समय भगवान का अभिषेक किया जा सकता है। किंतु गोधुली बेला यानी शाम 6.15 बजे, रात 10, मध्यरात्रि में 12.30 से एक बजे तक और दूसरे दिन सुबह 4 बजे चार प्रहर में पूजा का मुहूर्त है।
क्या करें
शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए।
ओम नम: शिवाय का जाप करते हुए रात्रि जागरण करें।
आंक के फूल, धतूरे और भांग, बेलपत्र, केसर युक्त चंदन आदि से शिवलिंग की पूजा कर मेवे का भोग लगाएं।
4 प्रहर की पूजा करनी चाहिए। मध्यरात्रि का विशेष महत्व।


उज्जैन में शिवरात्रि महापर्व पर भगवान महाकाल के श्रद्धालुओं को 44 घंटे तक दिव्य दर्शन देंगे। रविवार-सोमवार की मध्य रात 2.30 बजे महाकाल मंदिर गर्भगृह के पट खुले। अब 21 फरवरी की रात 11 बजे तक बाबा महाकाल लाखों श्रद्धालुओं को निरंतर दर्शन देंगे।

पुजारियों ने परंपरा अनुसार प्रथम घंटी बजाकर भगवान को जगाया। हरिओम जल, पंचामृत अभिषेक, पूजन के पश्चात अल सुबह 3 बजे भस्मारती शुरू हुई। सोमवार सुबह 6 बजे से आम लोगों के लिए दर्शन शुरू करा दिया गया है। ज्योतिषाचार्य पं. श्यामनारायण व्यास ने कहा कि सालों बाद शिवरात्रि श्रवण नक्षत्र में आई है। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग है, जो पूजन व खरीदी के लिए शुभ है।

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