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03 फ़रवरी 2012

भीष्म द्वादशी 4 को, पापों का नाश करता है यह व्रत

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माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी कहते हैं। इस दिन व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 4 फरवरी, शनिवार को है। इसका महत्व इस प्रकार है-

धर्म ग्रंथों के अनुसार इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है। भीष्म द्वादशी व्रत सब प्रकार का सुख वैभव देने वाला होता है। इस दिन उपवास करने से समस्त पापों का नाश होता है। इस व्रत में ब्राह्मण को दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, आदि करने से अमोघ फल प्राप्त होता है।

माघ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के ठीक दूसरे दिन भीष्म द्वादशी का व्रत किया जाता है। इस व्रत को भगवान श्रीकृष्ण ने भीष्म पितामाह को बताया था और उन्होंने इस व्रत का पालन किया जिससे इसका नाम भीष्म द्वादशी पड़ा। इस व्रत में ऊँ नमो नारायणाय नम: आदि नामों से भगवान नारायण की पूजा अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

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