मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करने वाला मोतीलाल 3 साल से यह पूजा-अर्चना कर रहा है। उसका कहना है कि वह एक बार दूधियाखेड़ी माताजी जा रहा था तभी गांधीजी की प्रतिमा पर धूल जमी देखी।
इसे देखकर उसे ग्लानि हुई। दूसरे दिन उसने गांधीजी की प्रतिमा को साफ कर पूजा-अर्चना की। इसके बाद तो यह दिनचर्या ही बन गई। मोतीलाल का कहना है कि बापू की सेवा से उनके मन को सुकून मिलता है।
प्रतिदिन 24 किमी का सफर बाद में भोजन
मोतीलाल बताते हैं कि वह नियमित लटूरी गांव से बस में जल लाकर यहां गांधीजी की प्रतिमा की पूजा-अर्चना करते हैं। वह प्रतिमा की साफ-सफाई करने के बाद माला पहनाकर, अगरबत्ती व दीप जलाकर पूजन करते हैं। इसके बाद एक परिक्रमा लगाकर गांव के लिए रवाना हो जाते हैं।
"मैं तीन साल से मोतीलाल को यहां पूजा-अर्चना व अभिषेक करते हुए देख रहा हूं। यह ऐसी लगन है कि वह सामान्य जीवन में भी सादगी पूर्वक रहता है।"
- हंसराज नागर, पूर्व पंचायत समिति सदस्य
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