आपका-अख्तर खान

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21 जनवरी 2012

हिन्दू मुस्लिम की यह नफरत चुनाव में ही क्यूँ फेलाती है पार्टी और पार्टी के लोग ..दोस्तों देश में अमन विकास अगर चाहिए तो नफरत फेलाने वालों को नंगा करो

दोस्तों पांच राज्यों में चुनाव प्रचार चल रहा है ..संविधान के धर्मनिरपेक्ष और राष्ट्रीयता का दम भरने वाले सियासी लोगों ने देश को हिन्दू मुस्लिम सिक्ख दलित और उच्च वर्ग में बाँट कर बिखेर कर रख दिया है ..देश में आर्य ..द्रविड़ कोल..मंगोल..मुग़ल..अंग्रेजों के बाद खुद अपना राज वापस स्थापित हो गया है लेकिन सियात में जातिवाद का जहर संविधान और चुनाव नियमों का होने के बाद भी हम भुला नहीं पा रहे है .....मामूली सी बातो पर सो मोटो प्रसंज्ञान एने वाले उच्च और उच्चतम न्यायालय खामोश है ..चुनाव आयोग का तो कहना ही क्या वोह तो बस दिखावा मात्र और सरकार की कठपुतली सा बन कर रह गया है .......कानून किया है दिखावा किया है करना क्या है सभी में ज़मीं आसमान का फर्क नज़र आता है ....... दोस्तों आप सभी के दिल में देश और देश को विकसित करने का जज्बा है आप सभी देश में सुक्ख और शांति चाहते है देश को सुरक्षित चाहते है लेकिन फिर भी आप और मुझ में न जाने क्यूँ यह जातिवाद धर्म का जहर घुलता जा रहा है ..हमारे देश के सभी धर्म एक दुसरे के आदर सम्मान की शिक्षा देते है लेकिन धर्म की राजनीती में हम खुद नंगे होते जा रहे है एक वोट देने और एक वोट लेने के लियें हम हमारे देश की संस्क्रती हमारे देश के धर्म की मर्यादाओं को तार तार करने में लगे है हिन्दू मुसलमान को गाली देता है तो मुसलमान हिन्दुओं को गाली देता है भाजपा तो सोचती है के मुसलमानों को जब तक गाली नहीं देंगे तब तक वोह चुनाव जीत ही नहीं सकती खुद को भाजपा हिन्दुओं की पार्टी कहती है और मुख़्तार अब्बास नकवी ..शाहनवाज़ को अपना मुखोटा बना कर पेश करती है ...संघ के इन्द्रेश जी को भाजपा से मुसलमानों को जोड़ने के लियें देश भर में घूम घूम कर अभियान चलाने का कहती है सार्वजनिक तोर पर बयान देती है हम मुसलमानों के दुश्मन नहीं केवल कोंग्रेस ही मुसलमानों का तुष्टिकरण कर रही है ..दोस्तों मुसलमानों की स्थिति राजनीति में नेपकिन से ज्यादा नहीं है चुनाव के वक्त कोंग्रेस या कोई भी पार्टी मुस्लिम वोटरों से वोट प्राप्त करती है यानी नेपकिन सेअप काला मुंह साफ़ कर उस नेपकिन यानि मुसलमान और उसके जज्बातों को फेंक देती है ..और पुरे कार्यकाल में मुसलमान रोते बिलखते रहते है निर्दोष होने पर भी जेल में रहते है लेकिन यही पार्टियाँ चुनाव के दिनों में उनके लियें कागज़ी योजनाओं की घोषणाएं करते है जो न पहले पूरी हुईं और ना ही कभी कोई पूरी करना चाहता है अख़बार है मिडिया है उन्होंने इन योजनाओं को मुस्लिमों की तुष्टिकरण की निति तो बताया लेकिन कभी भी किसी भी मिडिया ने इन योजनाओं की क्रियान्विति और आंकड़ो के बारे जनता के सामने सच नहीं रखा है सब जानते है भाजपा भी जानती है के मुस्लिम एक नेपकिन मात्र है जो सिर्फ नेताओं के काले चेहरे को साफ़ कर फेंक देने से ज्यादा किसी काम का नहीं है ..एक कडवा सच यह है के मुसलमानों को कभी भी कोंग्रेस या भाजपा या किसी भी पार्टी में उनके समाज यानी मुस्लिम नेता ने कभी कोई फायदा नहीं पहुंचाया है ..यह हकीक़त है इसके हमारे देश में आंकड़े है कभी भी मुस्लिम को किसी योजना का लाभ मिला है तो वोह किसी ना किसी हिन्दू भाई हिन्दू नेता की वजह से मिला है मुस्लिमों की कल्याण और स्थिति के अध्ययन के लियें जितने भी आयोग समितिया बनी है उनमे सब में गेर मुस्लिम लोग ही शामिल रहे है शायद अगर मुस्लिम इनमे शामिल होते तो इनकी रिपोर्ट मुस्लिमों के पक्ष में नहीं खिलाफ ही होती कहीं दंगा अगर होता है तो मुस्लिम को मुस्लिम नहीं हिन्दू ही सुरक्षित रखता है ...कुल मिलाकर जब जब भी मुसलमानों पर ज़ुल्मो सितम होते है तो कोई न कोई हिन्दू नेता उनके लियें मसीहा बनाकर खुदा भेजता है और वही उन्हें सुरक्षा और सम्मान देते है ...दूसरी तरफ हिन्दू भाई मुस्लिमों को चाहे कितनी ही गली देलें लेकिन जब उनके शादी ब्याह समारोह होते है तो मुस्लिम समाज के लोग उनके समारोह में बहुतायत से देखे जा सकते है तो दोस्तों जब हमे साथ रहना है हम साथ रहने की तरफ बढ़ रहे है फिर यह नफरत क्यूँ केवल चुनाव और वोट के लियें हिन्दू हो चाहे मुसलमान ..सिक्ख हो चाहे इसाई सभी को इस लोकतंत्र में अपनी मर्जी से वोट देने का हक है फिर वोट के बाद क्या होता है मतदाता को क्या कुछ ज़ुल्म और सितम भुगतना पढ़ते है यह मुझ से बहतर आप लोग जानते है फिर क्यूँ जनाब मिडिया ..सोशल साइटों पर हिन्दू मुस्लिम का बखेड़ा खड़ा करते हो अरे बखेड़ा खड़ा करना है तो भारतीयता राष्ट्रीयता का खड़ा करो जो लोग हिन्दू मुस्लिम की बात करते है जरा कुछ दिन उनका सामाजिक बहिष्कार कर के देखो मुसलमानों को इन्साफ उनका हक देकर तो देखो ..हिन्दुओं को आत्मसम्मान .विशवास वफादारी देकर देखों सामने खड़ा है तुम्हारे विशाल विकसित भारत का आत्मस्वाभिमान तो दोस्तों प्लीज़ अपने मासिक विकारों को निकाल कर फेंक दे अगर नहीं निकलते है तो किसी डोक्टर को जान्च कराएं लेकिन इस देश को लेखन ..सोशल साइटों के प्रदर्शन ..मिडिया ..भाषणबाज़ी के माध्यम से नफरत की आग में न झोंके ..मेरा यह लेखन छोटा मुंह बढ़ी बात हो सकता है इसलियें में आप लोगों से क्षमा प्रार्थी हूँ मुझ से मेरे लेखन से आप नफरत करो इससे सहमत चाहे ना रहो लेकिन प्लीज़ एक बार सिर्फ एक बार अपने जमीर को राष्ट्रीयता के नाम पर झकझोर के तो देखना एक बार अपने सीने पर हाथ रख कर खुद से सवाल तो करना जो नफरत हम फेला रहे है क्या उसमे देश की भलाई है क्या देश से मुसलमानों को गालियाँ बक कर ..या मुसलमानों से जुलूसों पर पत्थर फिकवा कर हम इस देश को बहरी ताकतों से सुरक्षित रख सकेंगे ..क्या यहाँ अमन चेन सुकून पैदा कर सकेंगे नहीं ना तो दोस्तों गुस्सा और अहंकार थूको मेरी बात मान लो अमन का झंडा लेकर देश के इस विकास में आगे निकल पढो में आपके पीछे जिंदाबाद का नारा लगाते हुए चलने को तय्यार हूँ .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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