दोस्तों देश का सबसे बढा राज्य राजस्थान और राजस्थान की शिक्षा ओध्ह्योगिक नगरी कोटा जहाँ तेरह मजिस्ट्रेटों के पद स्वीक्रत हैं लेकिन इतने बढ़े शहर में केवल चार मजिस्ट्रेट लगे हुए है कुल नो मजिस्ट्रेट के पद काफी लम्बे अरसे से खली है हालात यह है के कोटा में प्रति दिन इन खाली पदों के कारण लगभग एक हजार पक्षकार प्रतिदिन प्रेषण रहते है ..कोटा में इन रिक्त पदों के चलते महिला थाना ,,विज्ञाननगर ..जवाहर नगर ..केथुन ..कुन्हाड़ी .किशोरपुरा ...चेक के मामलात ..महिलाओं के घरेलू हिंसा मामलात की सुनवाई प्रभावित हो रही है कोटा के वकीलों की चलती नहीं और पक्षकारों में कोई राजनितिक पहुंचवाला होने के बाद भी इस मामले में हाईकोर्ट से उक्त रिक्त पदों को भरवा नहीं पा रहे है ............... दोस्तों कोटा के न्यायालय और वकीलों का गोरव शाली इतिहास रहा है यहाँ सभी तरह के क्रिमनल ..फोजदारी,,,बेंकिंग सहित सभी मामलात के मुकदमे हैं ...कोटा में एक जिला जज ..पांच अतिरित जज ..तीन विशिष न्यायालय ..एक मोटरवाहन जज एक पारिवारिक न्यायाधीश ..श्रम न्यायधीश और कन्जूमर जज है .....कोटा में जहां तेरह में से नो मजिस्ट्रेटों के पद खाली है वहीं सोलह जजों में से चार जजों के पद खाली है जिनमे एक ऍन डी पी एस न्यायधीश ....अनुसूचित मामलात न्यायधीश ..... भी शामिल है ..इनके आलावा मोटरवाहन जज का केवल एक पद है और वोह जज भी नियुक्त नहीं होने से कोटा में मोटर वाहन दुर्घटना मामलों की सुनवाई रुकी पढ़ी है ..कोटा में अदालत तो है लेकिन भवन छोटा होने से वहां जजों और रीडर बाबुओं के बेठने पत्रावली रखने की पर्याप्त जगह नहीं है ..यहाँ न्यायालय परिसर में कुल १७ सो के लगभग वकील है इसके आलावा मुंशी ..स्टांप वेंडर ...टाइपिस्ट और हजारों पक्षकारों की रोज़ आमद रफत है किन्तु वहां कोई खास सुविधा नहीं है ॥
दोस्तों अब जिस बढ़े शहर में मजिस्ट्रेट और जजों की पहले से ही अनुपातिक नियुक्ति नहीं हो अदालतों की कमी हो ...और जो भी अदालते हैं अगर उनमे भी नो मजिस्ट्रेट और चार जजों की पोस्टे खाली हो जहाँ लगभग प्रतिदिन साथ फाइलें कमसे कम एक अदालत में सुनवाई के लियें रखी जाती हों तो फिर ऐसे में लगभग आठ सो पत्रावलियों का तो कोई धनी धोरी बचता ही नहीं ..कोटा में वकीलों की लाइब्रेरी जिसमे लाखों करोड़ों की किताबें है कहने को एयर कंडिशन लाइब्रेरी है लेकिन बेतरतीब किताबें जिस हालत में पढ़ी है उससे लगता है के किसी उजड़े हुए दयार में आ गये हो अब नई अभिभाषक परिषद की कार्यकारिणी शायद इस मामले में कुछ सोचे कुछ करे वकील और पक्षकारों को शायद कुछ सुविधाए ..अदालतें .मजिस्ट्रेट दिलवा सके वरना कोटा की न्याय व्यवस्था तो बस एक रस्म से बनने लगी है घरेलू हिंसा ..चेक मामलात के पीड़ितों की परेशानी देखे से नहीं बनती ...... यह सब इस पर है जब कोटा सरकार में भी अपना प्रतिनिधित्व रखता है और माननीय राजस्थान हाईकोर्ट में भी कोटा से जुड़े हुए कई जजों की यहाँ नियुक्ति है ............... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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