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18 जनवरी 2012

फर्क पाकिस्तान और मेरे भारत महान की सेना के अध्यक्षों का

दोस्तों हमारे देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले सेना के अध्यक्ष को खुद के इन्साफ के लियें पहले सरकार का दरवाज़ा खट खटाना पढ़ा और फिर जब सरकार ने उन्हें निराश किया उनके साथ आम आदमी सा राजनितिक व्यवहार क्या तो उन्हें अपने हक की लड़ाई के लियें देश के सर्वोच्च न्यायालय में जाना पढ़ा ..दोस्तों यह है हिंदुस्तान यहाँ सीमा की लड़ाई लड़ने वाले लोगों को भी उनके हक के लिए इसी तरह से परेशान होना पढ़ता है और दूसरी तरफ दुश्मन देश जहाँ अगर सेना के किसी अधिकारी की मर्जी के खिलाफ कोई भी बात हो जाए तो वहां सेना आँखें दिखने लगती है प्रधानमत्री हो या राष्ट्रपति उन्हें गिरफ्तार कर सत्ता हथ्या लेती है तो दोस्तों यही तो फर्क है एक लोकतांत्रिक मेरे भारत महान और दुश्मन देश के जांबाजों में यहाँ यह जांबाज़ याचक है तो वहां यह जांबाज़ हुक देने वाले है ............ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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