यहां का खजुराहो मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। इसकी विश्व प्रसिद्धि का कारण मंदिर के बाहर बनी नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां हैं। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिरों के बाहर बनी इन आकृतियों को काम साहित्य का नाम दिया गया है।
खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ई. से 1050 ई. के बीच हुआ है। इन मंदिरों में मूर्तियों का निर्माण इतनी बेहतरी से किया गया है कि इसे देखने के बाद किसी के मन में बुरा ख्याल नहीं आता, क्योंकि सभी मूर्तियों की खूबसूरती में खो जाते हैं। यह एक ऐसा स्थान है, जिसे पूरे परिवार के साथ पवित्र मन से देखा जा सकता है। ये मूर्तियां प्राचीन सभ्यता की विशेषता बताने के लिए काफी हैं।
हालांकि कई बार मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर मंदिर के बाहर इस तरह की मूर्तियां बनाने के पीछे राज क्या हो सकता है। इस बारे में एक राय नहीं मिलता। अलग-अगल विश्लेषकों ने अलग-अलग राय दी है। मुख्य रूप से चार कारण सामने आते हैं, जो इस प्रकार हैं।
पहली मान्यता
कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा भोग-विलाशिता में अधिक लिप्त रहते थे। वे काफी उत्तेजित रहते थे। इसी कारण खजुराहो मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां बनाई गई हैं।
दूसरी मान्यता
दूसरे समुदाय के विश्लेषकों का यह मानना है कि इसे प्राचीन काल में सेक्स की शिक्षा की दृष्टि से बनाया गया है। ऐसा माना जाता है कि उन अद्भुत आकृतियों को देखने के बाद लोगों को संभोग की सही शिक्षा मिलेगी। प्राचीन काल में मंदिर ही एक ऐसा स्थान था, जहां लगभग सभी लोग जाते थे। इसीलिए संभोग की सही शिक्षा देने के लिए मंदिरों को चुना गया।
तीसरी मान्यता
कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि मोक्ष के लिए हर इंसान को चार रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है - धर्म, अर्थ, योग और काम। ऐसा माना जाता है कि इसी दृष्टि से मंदिर के बाहर नग्न मूर्तियां लगाई गई हैं। क्योंकि यही काम है और इसके बाद सिर्फ और सिर्फ भगवान का शरण ही मिलता है। इसी कारण इसे देखने के बाद भगवान के शरण में जाने की कल्पना की गई।
चौथी मान्यता
कुछ और लोगों का इन सबके अलावा इसके पीछे हिंदू धर्म की रक्षा की बात बताई गई है। इन लोगों के अनुसार जब खजुराहो के मंदिरों का निर्माण हुआ, तब बौद्ध धर्म का प्रसार काफी तेजी के साथ हो रहा था। चंदेल शासकों ने हिंदू धर्म के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया और इसके लिए उन्होंने इसी मार्ग का सहारा लिया। उनके अनुसार प्राचीन समय में ऐसा माना जाता था कि सेक्स की तरफ हर कोई खिंचा चला आता है।
इसीलिए यदि मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में मूर्तियां लगाई जाएंगी, तो लोग इसे देखने मंदिर आएंगे। फिर अंदर भगवान का दर्शन करने जाएंगे। इससे हिंदू धर्म को बढ़ावा मिलेगा।
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