नई दिल्ली। बाबरी ढांचा विध्वंस महज एक घटना है। इसमें 'ख्यात' या 'बदनाम' जैसी कोई बात नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात सीबीआई की अपील पर कही। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और शिवसेना चीफ बाल ठाकरे सहित 21 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप लगाने पर 27 मार्च को फैसला होगा।
जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस सीके प्रसाद की बेंच ने कहा, 'इसमें बहुचर्चित (फेमस) क्या है? यह महज एक घटना थी, जो घटी। अब सभी पक्ष हमारे सामने हैं।' इससे पहले कार्यवाही की शुरुआत पर अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल ने कहा था कि यह मामला 'फेमस' बाबरी ढांचा विध्वंस मामले से जुड़ा है।
बहरहाल, कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी, क्योंकि मामले में कुछ पक्षों ने अपने जवाब अब तक दाखिल नहीं किए हैं। इस वजह से सुनवाई मार्च तक स्थगित कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल चार मार्च को आडवाणी, ठाकरे सहित 21 लोगों को नोटिस जारी किए थे।
इनसे पूछा था कि उनके खिलाफ बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश रचने का आरोप क्यों न लगाया जाए? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 मई 2010 को विशेष कोर्ट के आदेश को कायम रखा था।
ये हैं आरोपी
लालकृष्ण आडवाणी, बाल ठाकरे, कल्याण सिंह, उमा भारती, सतीश प्रधान, सीआर बंसल, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, साध्वी ऋतंभरा, विष्णु हरि डालमिया, महंत अवैद्यनाथ, आरवी वेदांती, परमहंस रामचंद्र दास, जगदीश मुनि महाराज, बीएल शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धर्मदास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे।
ये मामले हैं दर्ज
> 6 दिसंबर 1992 को ध्वस्त हुए बाबरी ढांचे को लेकर दो मामले दर्ज हुए थे।
> एक मामला आडवाणी एवं अन्य के खिलाफ दर्ज हुआ था, जो मंच पर मौजूद थे। दूसरा मामला उन लाखों कारसेवकों के खिलाफ है, जो विवादित ढांचे के आसपास थे।
> सीबीआई ने आडवाणी एवं 20 अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए (समुदायों में शत्रुता पैदा करना), 153बी (राष्ट्रीय एकता को ठेस पहुंचाना) और 505 (शांति में खलल डालने के लिए अफवाहें फैलाना) के तहत आरोप लगाए हैं।
> धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप की मांग विशेष कोर्ट ने 4 मई 2001 को खारिज की थी। फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 मई 2010 में बरकरार रखा।
> हाईकोर्ट ने कहा था कि सीबीआई न तो रायबरेली की विशेष कोर्ट में और न ही हाईकोर्ट में यह साबित कर सकी कि इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का अपराध बनता है।
> हाईकोर्ट ने साथ ही अन्य आरोपों पर रायबरेली की कोर्ट में मुकदमा जारी रखने की सीबीआई को अनुमति दी थी। विवादित ढांचा रायबरेली कोर्ट के क्षेत्राधिकार में आता है।
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