यदुवंश के मृत व्यक्तियों का श्राद्ध अर्जुन ने विधिपूर्वक करवाया। भगवान के न रहने पर समुद्र ने एकमात्र भगवान श्रीकृष्ण का निवास स्थान छोड़कर एक ही क्षण में सारी द्वारिका डुबो दी।पिण्डदान के पश्चात स्त्रियों, बच्चों और बूढ़ों को लेकर अर्जुन इन्द्रप्रस्थ आए। वहां सबको यथायोग्य बसाकर अनिरुद्ध के पुत्र वज्र का राज्याभिषेक कर दिया। हे परीक्षित्! तुम्हारे दादा युधिष्ठिर आदि पाण्डवों को अर्जुन से ही यह बात मालूम हुई कि यदुवंशियों का संहार हो गया है। तब उन्होंने अपने वंशधर तुम्हें राज्यपद पर अभिषिक्त करके हिमालय की वीरयात्रा की।
परीक्षित ने शापित होने के कारण शुकदेवजी से जो कथा सुनी थी उसके नायक भगवान श्रीकृष्ण थे। नायक अपनी लीला समेट कर जा चुके हैं और परीक्षित के मन में अनेक छोटे-बड़े प्रश्न पुन: तैयार हो गए हैं। शुकदेवजी परीक्षित को समझा चुके हैं कि मैंने विस्तार से कृष्ण चरित्र सुनाया है और तुम जान गए होंगे कि धर्म क्या है? जीवन का आरंभ, मध्य और समापन कैसे होता है? इस प्रकार ग्यारहवें स्कंध का समापन होता है।
आइए, इसी के साथ भागवत की कथा अब बारहवें स्कंध में प्रवेश कर रही है। यहां कलयुग का वर्णन आएगा। शुकदेवजी ने जिस बारीकी से और विस्तार के साथ कलयुग का वर्णन किया है हमारी आंखें खोलने के लिए काफी है। अब जो चित्रण आएगा उससे हम अच्छी तरह से परिचित हैं, लेकिन हमें अब उससे सीखना है कि कलयुग की घटनाएं हमारे भीतर न जन्म लेने लगे। बाहर के दुनियादारी के जीवन में कलयुग का होना स्वाभाविक है। बारहवें स्कंध से हम यह सीखें कि हमारे भीतर कलयुग की स्थिति न बन जाए।
कलयुग तो प्रतीक्षा ही कर रहा था कि भगवान जाएं और मैं आऊं। जब-जब जीवन से भगवान गए, कलयुग आया। भगवान कह रहे हैं अब मैं जा रहा हूं, आप कलयुग को पहचानिए, जानिए। द्वादश स्कंध के आरंभ में शुकदेवजी कलयुग के बारे में जानकारी दे रहे हैं। कलयुग आएगा तो हमको दिखेगा जीवन का विपरीत घट रहा है। कलयुग में वो लोग जो नीचे बैठे हुए, ऊपर नजर आएंगे। कलयुग जब आएगा तो पापी व्यक्ति जो हैं वे पूजे जाएंगे। कलयुग जब आएगा तो अयोग्य लोग समर्थों पर राज करेंगे। कलयुग जब आएगा तो जो चोर होगा वह साहूकार के रूप में पूजा जाने लगेगा। जो जोर से बोलेगा उसकी बात सुनी जाएगी। भगवान कलयुग का लम्बा-चौड़ा वर्णन करते हैं और हम तो कलयुग को अच्छी तरह से परिचित हैं।
'समय-समय की बात है और समय-समय का योग, लाखों में बिकने लगे दो कौड़ी के लोग।कलयुग में ऐसा होता है। जो पतीत है, जो चरित्र से गिरा है वह ऊपर चला जाता है। 'गिरने वाला तो छू गया बुलंदी आसमान की और जो संभलकर चल रहे थे वो रेंगते नजर आए इसका नाम कलयुग है। कलयुग में कौन किसकी मदद कर रहा है यह पता ही नहीं लगता। आपको जो सहयोगी दिख रहा है वह पीछे षडयंत्र कर रहा होगा। कलयुग में कौन आपसे प्रेम से बात कर रहा है यह ज्ञात ही नहीं होता। कलयुग में आपका शत्रु है या मित्र है यह भान ही नहीं होता। कलयुग में मनुष्य प्रेम प्रदर्शन के, एक-दूसरे से हिसाब-किताब चुकाने के नए-नए तरीके ढूंढ लेता है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 जनवरी 2012
भागवत में लिखा है, कलयुग आएगा तो ऐसे मिलेंगे संकेत...
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