विवादास्पद लेखक सलमान रुश्दी की प्रस्तावित भारत यात्रा का मुस्लिम उलेमा विरोध कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से रुश्दी का वीजा रद्द करने की मांग भी उठाई है।
गौरतलब है कि मुस्लिमों के विरोध के चलते ही भारत समेत कई देशों ने ‘द सेटेनिक वर्सेज’ पर रोक लगा दी थी। फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम ने भी रुश्दी के वीजा को रद्द करने की मांग का समर्थन करते हुए चेतावनी दी कि अगर वे यहां आए तो इसके गंभीर परिणाम होंगे और सरकार को भी पछताना पड़ेगा।
जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में इस्लामिक डिपार्टमेंट के प्रमुख अख्तर उल वासे कहते हैं कि रुश्दी और तसलीमा नसरीन जैसी लेखक को दावत देना किसी साहित्य की खिदमत नहीं है। ऐसे लोगों के आने से देश में अमन-चैन का माहौल खराब होता है। जल्द ही पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं जिसमें शरारती तत्व इसका फायदा उठाकर वहां भी हालात खराब कर सकते हैं। उन्होंने पूछा कि जब सलमान रुश्दी के विवादास्पद उपन्यास पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही प्रतिबंध लगाया था, तब अब कांग्रेस की सरकार ही उन्हें क्यों बुला रही है?
दारुल उलूम के पूर्व मोहतमिम मोहम्मद गुलाम रसूल वस्तानवी भी सलमान रुश्दी की यात्रा का विरोध कर रहे हैं। जमियत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि रुश्दी को बुलाना मुस्लिमों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। सरकार को मुस्लिमों की भावनाओं का खयाल रखते हुए उनका वीजा रद्द कर देना चाहिए।
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