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20 जनवरी 2012

खानदानी और गेर खानदानी लोगों में शोक जताने का तरीका जो कई लोगों की पोल खोल गया

दोस्तों कहते है खानदानी आदमी का उसके रहन सहन और चाल चलन से ही पता लग जाता है .... किसी की भी हरकतों से उसके खानदानी और गेर खानदानी होने का साफ़ पता चल जाता है ..यह असल नस्ल की बात नहीं है असल नसल के लियें तो.. कहावत है के असल से खता नहीं कम असल से वफा नहीं.....लेकिन यह जीने के तोर तरीके और जनता में दुसरे छोटे बढो से व्यवहार का नज़र है जिसे देखते ही आदमी के खानदान और वर्ग का पता चलता है ...छोटे वर्ग का व्यक्ति खुद ऐसा ही व्यवहार करेगा जिससे उसकी कमजोरी खुद बा खुद पता चल जायेगी लेकिन जो खानदानी होगा वोह तो बस देखते ही उठने बेठने बात करने और व्यवहार से पकड़ में आजायेगा ..ऐसा शख्स चाहे कितने ही बढ़े पद और हो चाहे कितने ही छोटे पद पर हो रिक्शा ठेला चलाता हो लेकिन उसका अंदाज़ लुभावना होगा और वोह नफासत वाला व्यक्ति होगा ..खेर इतनी लम्बी छोड़ी परिभाषा मुझे इस मामले में देने की जरूरत नहीं है .. में अपनी मूल बात पर ही आ रहा हूँ ,,,, कोटा में कोंग्रेस के सांसद इजयराज सिंह जो भूतपूर्व दरबार और कोंग्रेस जनसंघ से सासद रह चुके हैं उनके पुत्र है जबकि उनकी दादी कोटा की राजमाता जो भारतीय जनसंघ से विधायक रह चुकी थीं उनके निधन के बाद कोंग्रेस और भाजपा के नेता उन्हें श्रद्धांजली देने आये ..रजा रजवाड़े के लोग और खुद उनके निजी सम्बन्धो वाले लोग जो कोंग्रेस और भाजपा के वरिष्ठ नेता है सभी उन्हें श्रद्धांजली देने पहुंच रहे है राज्य सरकार के मंत्री भी आये तो संसद भी आये लेकिन जो आया वोह शोक जता कर नेता गिरी में लग गया और मिडिया के सामने सियासी बयानबाजी करने से नहीं चूका कोटा और कोटा के लोग हेरान परेशान थे के आखिर यह कोनसी परम्परा कोनसा तहज़ीब है जो शोक जताने आये लोग राजनीती भी करके जा रहे है लेकिन इसका जवाब नहीं मिल पा रहा था दोस्तों अभी कल इस सवाल का जवाब खुद बा खुद जब मिला तब मेने यह उबाऊ पोस्ट लिखने की जहमत की है ..दोस्तों कल राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया और उनके सासद पुत्र भी राजमाता कोटा के यहाँ शोक जताने गये थे उनके कोटा के आने के बाद मिडिया और भाजपा कार्यकर्ताओं ने बहुत प्रयास किये के उनसे राजनितिक मामलों पर चर्चा करें बात करे लेकिन उनका हर सवाल पर एक ही जवाब था वोह कहती थीं के अभी में राजनीति करने नहीं केवल शोक जताने आई हूँ इसके लियें में फिर दुबारा जब आउंगी तब बात करेंगे तो जनाब यह फर्क है एक खानदानी के शोक जताने और गेर खानदानी के शोक जताने के तोर तरीकों का ................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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