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05 जनवरी 2012

दिग्विजय आरएसएस-भाजपा के सबसे बड़े समर्थक


नई दिल्ली. संघ के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े अशोक सिंघल के साथ मंच पर बैठे हुए दिग्विजय सिंह की तस्वीर सामने आने के बाद टीम अन्ना ने हमला बोल दिया है। टीम अन्ना के सदस्य संजय सिंह ने गुरुवार को कहा है दिग्विजय सिंह के आरएसएस से घनिष्ठ संबंध हैं। संजय सिंह का कहना है कि दिग्विजय का बीजेपी और संघ से गहरा नाता है। वे बीजेपी और संघ का नाम नितिन गडकरी से ज़्यादा लेते हैं। संजय ने कहा, 'दिग्विजय सिंह कांग्रेस के भीतर आरएसएस और भाजपा के सबसे बड़े समर्थक हैं।'

लेकिन दिग्विजय सिंह ने तस्वीर सामने आने के बाद अपने बचाव में कहा है कि उस कार्यक्रम में वे कांची के शंकराचार्य के बुलावे पर गए थे और इसके लिए उन्होंने पार्टी से इजाजत ली थी। दिग्विजय सिंह ने कहा, 'आरएसएस से जुड़े लोगों ने अन्ना पर किताब लिखी। क्या उन्होंने मेरे ऊपर किताब लिखी? अन्ना को आरएसएस का समर्थन स्वीकार कर लेना चाहिए। अन्ना को लोगों को यह भी बताना चाहिए कि जनलोकपाल की जरूरत नहीं है, वे सभी बीजेपी में शामिल हों और उनका शुद्धिकरण हो।'

मजबूत लोकपाल की मांग कर रहे अन्ना हजारे को आरएसएस का एजेंट साबित करने में जुटी रही कांग्रेस को अब संघ जवाब देने की तैयारी की है। संघ के मुखपत्र पांचजन्य के अगले में अंक में संघ अन्ना और उनके सहयोगियों पर सबसे ज़्यादा हमला करने वाले दिग्विजय सिंह की पोल खोलने की तैयारी है।

अन्ना हजारे और समाजसेवी नानाजी देशमुख के रिश्तों का दावा कर टीम अन्ना को बैकफुट पर धकेलने की कोशिश कर चुके दिग्विजय सिंह की संघ और वीएचपी नेताओं के साथ मंच पर तस्वीर खोज निकाली गई है। इसमें कांग्रेस महासचिव हरिद्वार में आयोजित 1997 के विराट हिंदू सम्मेलन के दौरान संघ के तत्कालीन प्रमुख प्रोफेसर राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया और विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल के बीच बैठे नजर आ रहे हैं।

यूपी चुनाव के बीच रज्जू भैया और अशोक सिंघल के साथ दिग्विजय सिंह की करीबी कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के प्रभारी पर भारी पड़ सकती है। पांचजन्य के इस अंक में सिर्फ तस्वीर ही नहीं बल्कि लेख के जरिए भी दिग्विजय सिंह को जवाब देने की योजना है। ‘अपने गिरेबां में झांके दिग्विजय सिंह’ शीर्षक से लेख में आरएसएस की भारत के प्रति निष्ठा और समर्पण साबित करने के लिए बताया गया है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1963 में आरएसएस के निवेदन के बाद संघ को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने की इजाजत दी थी।

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