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06 जनवरी 2012

माघ मास 10 से, पापों से मुक्ति दिलाता है यह महीना

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भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास व दसवां सौरमास माघ कहलाता है। इस महीने में मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने से इसका नाम माघ पड़ा। धार्मिक दृष्टिकोण से इस मास का बहुत अधिक महत्व है। इस बार माघ मास का प्रारंभ 10 जनवरी, मंगलवार से हो रहा है। इस मास में पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य पापमुक्त हो स्वर्गलोक में स्थान पाता है-

माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।।

माघ मास में प्रयाग में स्नान, दान, भगवान विष्णु के पूजन व हरिकीर्तन के महत्व का वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदासजी ने श्रीरामचरितमानस में लिखा है-

माघ मकरगत रबि जब होई। तीरतपतिहिं आव सब कोई।।

देव दनुज किन्नर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं।।

पूजहिं माधव पद जलजाता। परसि अखय बटु हरषहिं गाता।

पद्मपुराण के उत्तरखण्ड में माघमास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है-

व्रतैर्दानैस्तपोभिश्च न तथा प्रीयते हरि:।

माघमज्जनमात्रेण यथा प्रीणाति केशव:।।

प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापापनुक्तये।

माघस्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानव:।।

अर्थात व्रत, दान और तपस्या से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नानमात्र से होती है, इसलिए स्वर्गलाभ, सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान अवश्य करना चाहिए।

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