राजस्थान के कुप्रबंध के कारण तीन हजार करोड़ के विकास खत्म हो गए हैं ..केंद्र सरकार के योजना आयोग ने राजस्थान सरकार को विकास के लियें करोड़ों करोड़ रूपये दिए थे जिसमे से राजस्थान सरकार की भावी योजनायें तय्यार नहीं होने और सरकार की खींचतान के चलते सरकार ने तीन हज़ार करोड़ रूपये स्वीक्रत होने के बाद भी राजस्थान के विकास के काम में नहीं लगाये हैं ,स्थिति यह है के अब यही राजस्थान सरकार विकास में तीन हजार करोड़ रूपये का नुकसान कर चुकी है .................................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 मई 2011
नोटों को जलाने वाले अधिकारी रिमांड पर
अजमेर में रेलवे अधिकारी के रूप में रहे अधिकारी जी ने रेलवे भ्रष्टाचार की जांच के डर से रिश्वत में लिए पचास लाख रूपये से भी अधिक की राशि जलाकर ख़ाक कर दी .यह अधिकारी जी और इनकी पत्नी दोनों रेलवे में हैं इनदिनों इनका पोस्टिंग बीकानेर में चल रहा था ....अधिकारी जी ने कल लगभग पचास हजार रूपये एक साथ इखट्टे कर उसमे आग लगा दी लेकिन जाँच एजेंसियों की नजरों से यह अधिकारी जी और इनके कारनामे नहीं बच सके .अब बेचारे अधिकारी जी हिरासत में हैं और अदालत ने उनसे पूंछतांछ के लियें पांच दिन की हिरासत का रिमांड दिया है अब देखते हैं जांच में क्या सच सामने आता है ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
इन्तिज़ार है
चलते रहने का नाम ही शायद जिंदगी है .................क्या जिंदगी के साथ चलोगे अगर हाँ तो मुझे आपका इन्तिज़ार है .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
"दामन बचाना चाहिए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
इन दरिन्दों से सदा दामन बचाना चाहिए।
अब न नंगे जिस्म को ज्यादा नचाना चाहिए।
हुस्न की परवाज़ तो थम ही नहीं सकतीं कभी,
जोश में तन को न ज्यादा कसमसाना चाहिए।
इश्क की आँधी में उड़ जाना न अच्छी बात है,
सिर्फ शीतल पवन को घर में बसाना चाहिए।
खूब मथकर सेंकना चूल्हे में दिलकश रोटियाँ,
अटपटी बातों को दिल में ही पचाना चाहिए।
“रूप” के लोभी लुटेरे ताँक में हैं आपकी,
सोचकर अपने स्वयंवर को रचाना चाहिए।"दामन बचाना चाहिए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
इन दरिन्दों से सदा दामन बचाना चाहिए।
अब न नंगे जिस्म को ज्यादा नचाना चाहिए।
हुस्न की परवाज़ तो थम ही नहीं सकतीं कभी,
जोश में तन को न ज्यादा कसमसाना चाहिए।
इश्क की आँधी में उड़ जाना न अच्छी बात है,
सिर्फ शीतल पवन को घर में बसाना चाहिए।
खूब मथकर सेंकना चूल्हे में दिलकश रोटियाँ,
अटपटी बातों को दिल में ही पचाना चाहिए।
“रूप” के लोभी लुटेरे ताँक में हैं आपकी,
सोचकर अपने स्वयंवर को रचाना चाहिए।
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