चलते रहने का नाम ही शायद जिंदगी है .................क्या जिंदगी के साथ चलोगे अगर हाँ तो मुझे आपका इन्तिज़ार है .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 मई 2011
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jurur jindgi ke sath hi chalnge...
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