"दामन बचाना चाहिए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
इन दरिन्दों से सदा दामन बचाना चाहिए।
अब न नंगे जिस्म को ज्यादा नचाना चाहिए।
हुस्न की परवाज़ तो थम ही नहीं सकतीं कभी,
जोश में तन को न ज्यादा कसमसाना चाहिए।
इश्क की आँधी में उड़ जाना न अच्छी बात है,
सिर्फ शीतल पवन को घर में बसाना चाहिए।
खूब मथकर सेंकना चूल्हे में दिलकश रोटियाँ,
अटपटी बातों को दिल में ही पचाना चाहिए।
“रूप” के लोभी लुटेरे ताँक में हैं आपकी,
सोचकर अपने स्वयंवर को रचाना चाहिए।
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