घी का नाम आते ही उसकी खुशबू ,स्वाद और न जाने क्या क्या हमारे दिलों दिमाग पर छा जाता है, हो भी क्यों न? हमने अपनी परम्परा से जो इसे पाया है। भले ही अंगरेजी में इसे क्लेरीफायडबटर के नाम से जाना जाता हो, पर देशी शुद्ध घी के अपने ही फायदे हैं। आयुर्वेद में भी घी को उदाहरण के रूप में दिया जाता है, जो संस्कारों द्वारा अपने गुणों को न छोडते हुए दूसरों के गुणों को भी अपने अन्दर समाहित कर लेता है। 16 वीं शताब्दी के ग्रन्थ भावप्रकाश पर यदि नजर डाला जाय तो इसे स्वाद को बढ़ाने वाला और ऊर्जा प्रदान करने वाला माना गया है।
शायद इसलिए हम इसे सदियों से अपने भोजन का अभिन्न हिस्सा मानते रहे हैं। घी केवल रसायन ही नहीं आपकी आँखों की ज्योति को भी बढाता है। ठंड में इसके सेवन को विशेष लाभदायी माना गया है। इसके अपने गुणों के कारण ही मक्खन की जगह हम इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। हमारे देश में बड़ी ही तसल्ली से मक्खन को धीमी आंच पर पिघलाते हुए पकाकर घी बनाया जाता है।
इससे इसके तीन लेयर बन जाते हैं ,पहला लेयर पानी से युक्त होता है, जिसे बाहर निकाल लिया जाता है ,इसके बाद दूध के ठोस भाग को निकाला जाता है, जो अपने पीछे एक सुनहरी सेचुरेटेड चर्बी को छोड़ जाता है ,जिसमें कंजुगेटेड लाईनोलीक एसिड पाया जाता है। यह कंजुगेटेड लाईनोलीक एसिड शरीर के संयोजी उतकों को लुब्रीकेट करने एवं वजन कम होने से रोकने में मददगार के रूप में जाना जाता है। यह भी एक सत्य है कि, घी एंटीआक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। आयुर्वेद में घी को आतंरिक और बाह्य दोनों ही प्रयोगों में सदियों से लाया जाता रहा है।
जोड़ों का दर्द हो, या हो त्वचा का रूखापन, या कराना हो आयुर्वेदीय पंचकर्म में शोधन, हर जगह इसका प्रयोग निश्चित है । हम जानते हैं, कि हमारा शरीर अधिकांशतया पानी में घुलनशील हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालता है। लेकिन घी चर्बी में घुलनशील हानिकारक रसायनों को हमारे आहारनाल से बाहर निकालता है। घी को पचाना आसान होता है, साथ ही इसका शरीर में एल्कलाईन फार्म में होनेवाला परिवर्तन अत्यधिक एसिडिक खान-पान के कारण होनेवाले पेट की सूजन (गेस्ट्राईटीस ) को भी कम करता है।
चूँकि धीमी आंच पर गर्म करने से दूध के ठोस तत्व बाहर निकल जाते हैं, इसलिए यह लेकटोज फ्री होता है, और यह उन लोगों के लिए भी खाने योग्य है जिन्हें साधारण डेयरी प्रोडक्ट हजम नहीं होते हैं। घी मेध्य है ,अर्थात हमारी बुद्धिमता (आई.क्यू,) को बढाता है ,और तंत्रिकाओं को पोषण देता है।इन्ही गुणों के कारण आयुर्वेदिक चिकित्सक इसे अवसाद,एंजायटी,एपीलेप्सी आदि मानसिक स्थितियों में प्रयुक्त कराते हैं।इसे गर्भवती महिलाएं भी ले सकती हैं तथा अपनी आनेवाली संतान को गुणवान एवं बुद्धिमान प्राप्त कर सकती हैं।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
02 दिसंबर 2011
सर्दी स्पेशल- हैरान रह जाएंगे ठंड में घी खाने के ये ढेरों फायदे जानकर
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