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15 दिसंबर 2011

भगवान की भक्ति का समय है मल मास



मल मास का प्रारंभ 17 दिसंबर, शनिवार से हो रहा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार मल मास को भगवान पुरुषोत्तम ने अपना नाम दिया है इसलिए इस मास को पुरुषोत्तम मास मास भी कहते हैं। इस मास में भगवान की आराधना करने का विशेष महत्व है।

धर्मग्रंथों के अनुसार इस मास में प्रात:काल सूर्योदय पूर्व उठकर शौच, स्नान, संध्या आदि अपने-अपने अधिकार के अनुसार नित्यकर्म करके भगवान का स्मरण करना चाहिए और पुरुषोत्तम मास के नियम ग्रहण करने चाहिए। पुरुषोत्तम मास में श्रीमद्भागवत का पाठ करना महान पुण्यदायक है। इस मास में तीर्थों, घरों व मंदिरों में जगह-जगह भगवान की कथा होनी चाहिए। भगवान का विशेष रूप से पूजन होना चाहिए और भगवान की कृपा से देश तथा विश्व का मंगल हो एवं गो-ब्राह्मण तथा धर्म की रक्षा हो, इसके लिए व्रत-निमयादि का आचरण करते हुए दान, पुण्य और भगवान का पूजन करना चाहिए। पुरुषोत्तम मास के संबंध में धर्मग्रंथों में वर्णित है -

येनाहमर्चितो भक्त्या मासेस्मिन् पुरुषोत्तमे।

धनपुत्रसुखं भुकत्वा पश्चाद् गोलोकवासभाक्।।

अर्थात- पुरुषोत्तम मास में नियम से रहकर भगवान की विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तिपूर्वक उन भगवान की पूजा करने वाला यहां सब प्रकार के सुख भोगकर मृत्यु के बाद भगवान के दिव्य गोलोक में निवास करता है।

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