भगवान कृष्ण का पूरा जीवन लोक हितों के कामों में गुजरा, शांति का एक पल नहीं था उनके जीवन में। लेकिन फिर भी उनके चेहरे पर हमेशा एक स्थायी शांत भाव रहता था। मुस्कुराहट कभी उनके चेहरे से नहीं हटती थी।
ऐसा क्यों? कि इतने कामों और जिम्मेदारियों के बाद भी कृष्ण हमेशा तनाव मुक्त दिखाई देते हैं। उनके बचपन में चलते हैं। आज हमारी संतानें अशांत दिखती है लेकिन कृष्ण के बचपन पर इतने राक्षसों के आक्रमण के बाद भी उसमें शांति दिखाई दे रही है।
उनके जीवन में तीन चीजें ऐसी हैं जो आज हमारे बच्चों के जीवन में भी होनी चाहिए। हमें भी अब इनसे जुडऩा चाहिए। अगर शांति को जीवन में स्थायी भाव बनाना चाहते हैं तो जीवन को ऐसे संभालें जैसे कृष्ण ने संभाला है। उनके बचपन में तीन बातें बहुत अनुकरणीय हैं। पहला प्रकृति से निकटता। कृष्ण ने अपने बचपन का अधिकांश भाग बृज मंडल के जंगलों और यमुना के किनारे गुजारा। प्रकृति का शांत भाव उनके व्यक्तित्व में उतर गया। वे इससे गहरे से जुड़े थे, इसलिए अतिसंवेदनशील भी थे। दूसरों की भावनाओं को तत्काल समझ जाते थे।
दूसरा संगीत से जुड़ाव। बांसुरी कृष्ण का ही पर्याय बन गई। संगीत की स्वरलहरियां हमारे व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए आवश्यक हैं। अपने बच्चों को भी संगीत से जोड़ें। शास्त्रीय तानें मन को भीतर तक साफ कर देती हैं।
तीसरा माखन-मिश्री। यानी स्वस्थ्य आहार। मन आपका तभी स्वस्थ्य होगा जब आपका आहार अच्छा हो। माखन मिश्री के जरिए कृष्ण का संकेत अच्छे आहार की ओर है। अगर बचपन में इससे वंचित रहे हैं तो अब इन तीन चीजों को जीवन में उतारने का प्रयास करें। फिर आपको शांति की तलाश में भटकना नहीं पड़ेगा।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 दिसंबर 2011
ये तीन चीजें हमारे व्यक्तित्व को बना सकती हैं सौम्य और शांत
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