आयुर्वेद के अनुसार यह मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब चौदह रत्नों में से एक अमृत भी हासिल हुआ तो देवताओं व दानवों में विवाद हो गया। तब ब्रह्मा ने देवताओं और दानवों को अलग-अलग पंक्तियों में बैठाकर अमृत बांटना शुरू किया। उस समय राहु नामक राक्षस ने देवताओं की पंक्ति में रूप बदलकर बैठ गया और अमृतपान कर लिया।
लेकिन जब देवताओं को पता चला कि वह राक्षस है तो भगवान विष्णु ने उसकी गर्दन काट दी लेकिन अमृत उसके हलक में पहुंच चूका था। इस घटना के दौरान दानव द्वारा पीए अमृत की कुछ बूंदे धरती पर बिखर गई उन्हीं बूंदों से धरती पर जिस पौधे की उत्पति हुई। वह लहसुन का पौधा था। इसलिए कहा जाता है कि लहसुन एक अमृत रासायन है। लेकिन चूंकी माना जाता है कि इसका प्रयोग करने वाले मनुष्य के दांत, मांस व नाखून बाल, व रंग क्षीण नहीं होते हैं। यह पेट के कीड़े मारता है व खांसी दूर करता है। लहसुन चिकना, गरम, तीखा, कटु, भारी, कब्ज को तोडऩे वाला व आंखों के रोग दूर करने वाला माना गया है। अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो अपनाएं नीचे लिखे लहसुन के अचूक प्रयोग-
- लहसुन की पांच-छ: कलियां पीसकर मट्ठे में भिगो दें। सुबह पीस लें। उसमें भुनी हिंग और अजवाइन व सौंफ के साथ ही सोंठ व सेंधा नमक, पुदीना मिलाकर चूर्ण बना लें। आधा तोला चूर्ण रोज फांकना चाहिए।
- लहसुन की चटनी तथा लहसुन को कुचलकर पानी का घोल बनाकर पीना चाहिए।
- लहसुन की दो कलियां भून लें उसमें सफेद जीरा व सौंफ सैंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। इसका सेवन सुबह खाली पेट गर्म पानी से करें

सुन्दर जानकारी के लिए धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंभाई बहुत गुणकारी है लहसुन। लेकिन लोग इसे भोजन का हिस्सा बना बैठे हैं। इस के बिना उन्हें भोजन अच्छा नहीं लगता। लेकिन जब रोज अच्छी खासी मात्रा में खाया जाता है तो शरीर इस के विरुद्ध इम्युनिटी विकसित कर लेता है और तब इस का कोई औषधीय असर नहीं होता। वैसे ही जैसे अफीम खाने वाले को दस्त लग जाने पर सारी दवाएँ बेकार सिद्ध होने लगती हैं।
जवाब देंहटाएंहम लहसुन नहीं खाते जिस से जरूरत पड़ने पर इसे दवा के रूप में प्रयोग किया जा सके या इस से बनी दवा असरकारक रहे।
कुछ न कर सकें तो एक लहसुन पानी के साथ ऐसे ही घोंट लें।
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