शास्त्रों के मुताबिक मंत्र स्मरण देव शक्तियों के आवाहन से मन और जीवन को कलहमुक्त बनाने का श्रेष्ठ और अचूक उपाय है। विशेष कामनाओं की पूर्ति के लिये देव मंत्र जप विशेष मालाओं से करने का महत्व है। किंतु अक्सर देखा जाता है कि मंत्र जप के लिए उपयोग की जाने वाली जप माला मात्र मंत्र संख्या की गिनती का जरिया मान ली जाती है और उससे संबंधित शास्त्रों में नियत मर्यादाएं भंग होती है। जबकि यह फल प्राप्ति के नजरिए से दोष पूर्ण हैं।
दरअसल, शास्त्रों के मुताबिक मंत्र जप माला जाग्रत होती है यानी वह जड़ नहीं चेतन होती है। क्योंकि माना जाता है कि देव शक्तियों के ध्यान के साथ हाथ, अंगूठे या अंगुलियों के अलग-अलग भागों से गुजरते माला के दाने आत्म ब्रह्म को जाग्रत करते हैं। इन स्थानों से देवीय ऊर्जा मन व शरीर में प्रवाहित होती है। इसलिए यह भी देव स्वरूप है। जिससे मिलने वाली शक्ति या ऊर्जा अनेक दु:खों का नाश करती है।
यही कारण है कि मंत्र जप के पहले जप माला का भी विशेष मंत्र से स्तुति करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। जानते हैं यह जप माला की उपासना का यह मंत्र -
महामाये महामाले सर्वशक्तिस्वरूपिणि।
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव।।
अविघ्रं कुरु माले त्वं गृह्णामि दक्षिणे करे।
जपकाले च सिद्धयर्थं प्रसीद मम सिद्धये।।
सरल अर्थ है कि सर्वशक्ति स्वरूपा महामाला आप में ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष समाये हैं। इनकी प्राप्ति भी आपसे ही संभव है। इसलिए मंत्र जप के दौरान आने वाली सभी बाधाओं का नाश करें और जिस साधना और सिद्धि के लिये मैंने आपको दाएं हाथ में ग्रहण किया है, वह भी सिद्ध करो।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 दिसंबर 2011
देव शक्तियों को जाग्रत करे जप माला की इस मंत्र से पूजा
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