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08 दिसंबर 2011

छोटी इलायची के बड़े कमाल: हो जाएंगी ये खतरनाक बीमारियां छू-मंतर


खाने के चीजों को सुगंधित बनाने वाली और उनका स्वाद बदलने के वाली इलाइची का उपयोग हमारे देश में सबसे अधिक किया जाता है। इलायची छोटी और बड़ी दो प्रकार की होती हैं। बड़ी इलायची हल्की रूखी गर्म है। कफ पित्त, रक्तविकार खुजली, श्चास मूत्राशय के रोगों को दूर करती है। लेकिन ज्यादातर छोटी इलायची का उपयोग औषधी के रूप में किया जाता है। प्यास, शमन, पाचन आदि में छोटी इलाइची बहुत उपयोगी है।

इसके दानों को महीन पीस कर से छींके आकर सिर की पीड़ा दूर होती है। केले का अर्जीण दूर करने के लिए एक इलाइची खा लेना काफी है। इसके 20 ग्राम छिलके आधा लीटर पानी में उबाल कर काढ़ा बनाएं। चौथाई जल शेष बचे तब ठंडा कर एक-एक चम्मच विसूचिका के रोगी को पिलाने से आराम मिलता है। नकसीर फूटने पर नाक में से खून गिरता है, इस स्थिति में इलाइची के अर्क की 2-3 बूंदे बताशे में डालकर 2-2 घंटे से खिलाने पर नकसीर ठीक हो जाती है। इलायची के 5 तोला बीज, बादाम और पिस्ता के साथ भिगोकर महीन पीस लें।

इसे दूध में पकाएं जब गाढ़ा हो जाए तो 3 पाव मिश्री मिलाकर धीमी आंच में पकने दें। जब हलवा जैसा हो जाए तो सेवन करें। इससे आंखों की कमजोरी दूर होती है। स्मरण शक्ति बढ़ती है।ककड़ी के बीज और इलायची के दाने समान मात्रा में मिलाकर 5-10 ग्राम मात्रा लेकर खूब चबाकर खाने या दूध में घोंट छान कर पीने से पथरी व मूत्रदाह में लाभ होता है।इलायची बीज का चूर्ण और इसबगोल की भूसी समभाग में मिलाएं और आंवले के रस में यह मिश्रण डालकर बैर जैसी गोलियां बना लें।

एक-एक गोली सुबह-शाम गाय के दूध से लें। इसके सेवन से स्वप्नदोष की समस्या दूर होती है।छोटी इलायची सुगंध से भरपूर होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल माउथ फ्रेशनर के रूप में किया जाता है।कैफीन से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने में यह छोटी इलायची बड़े काम की चीज होती है। यह शरीर के शुध्दीकरण के लिए इस्तेमाल होने वाला अद्भुत मसाला होती है।यह शरीर में कफ बनने से रोकती है, इसके अलावा यह कफ, वात, पित्त तीनों के दुष्प्रभावों को रोकने में मददगार होती है।शरीर में श्वांस संबंधी रोगों को दूर करने में यह सहायक होती है।

यदि आप अस्थमा या खांसी से परेशान हैं तो थोड़ी सी इलायची का पाउडर शहद के साथ खाएं।छोटी इलायची शरीर में गैस उत्पन्न करने वाले रसायनों के प्रभाव को कम करती है और शरीर में एसिड के स्तर को नियंत्रित करती है।यह मसूड़ों और दांतों संबंधी इंफेक्शन से बचाव करने में भी सहायक होती है।छोटी इलायची से शरीर में होने वाली अशुध्दियों में कमी आती है।यदि आप मूत्र संक्रमण संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो थोड़ी सी छोटी इलायची को आंवला, दही या शहद के साथ मिलाकर खाएं।

एसीडिटी होने पर कच्चे दूध पानी की लस्सी में इलाइची घोंट पीसकर प्रतिदिन पीने से लाभ होता है। गर्मी से सिर चढऩे,दुखने और भारी होने पर इलायची के दाने पानी में पीस कर माथे पर लेप करने और इसका चूर्ण सूंघने से आराम होता है।इलायची का चूर्ण एक माह तक या इसके तेल की 5 बूँद अनार के शर्बत के साथ पीने से जी घबराने और उल्टियाँ होने जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। यह इलाज हैजा में भी लाभकारी है।

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