आपका-अख्तर खान

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16 दिसंबर 2011

क्या मजबूरी है

ना जाने
क्या मजबूरी है
पता नहीं
क्यूँ देखते है
कई रातों से
हम तारों की तरफ
जबकि सच तो यह
है
उनसे मुलाक़ात का
कोई वायदा भी नहीं .......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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