मान्यता के मुताबिक, दुर्गा मंदिर में नवरात्री के आखिरी दिन नाई हर व्यक्ति के पास जाकर छुरे से घाव करता है। जिस्म से खून निकालकर पुजारी मां दुर्गा के सामने रखते हैं। ऐसे में एक ही छुरा लगभग सबके लिए इस्तेमाल किया जाता है।
रमेश सिंह कहते हैं कि, शादीशुदा लोग नौ जगह पर वहीं कुंवारे एक जगह घाव करा कर खून चढ़ाते हैं। ऐसा करने से देवी मां खुश हो जाती है। शैलेंद्र सिंह बताते है कि, ऐसा करने से कभी भी कोई बिमारी नहीं होती। मां की ऐसी कृपा होती है कि टिटनेस और इंफेक्शन जैसी बिमारियां नहीं होती है।
मंदिर के पुजारी शिवकांत के मुताबिक, यहां मां की इतनी कृपा होती है कि एक ही छुरे से कई लोगों को घाव करने के बाद भी किसी को कुछ नहीं होता है। ऐसा कई दशकों से हो रहा है। यदि किसी को कुछ होता तो अब तक पता चल जाता।
21वीं सदी में आज भी विज्ञान पर आस्था बलवती है। सभी जानते हैं कि एक ब्लेड का प्रयोग हर व्यक्ति के साथ करने पर बिमारियां हो सकती हैं। इंफेक्शन और टिटनेस हो सकता है। पर ऐसा कई दशकों से हो रहा है। लोगों को मानना है कि उनको कुछ नहीं होता। फिर इसे अंधविश्वास ही कहा जाएगा और इसकी भयावहता से इंकार नहीं किया जा सकता।
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