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16 दिसंबर 2011

मेंटल स्ट्रेस से जुड़ी समस्याओं के लिए कुछ चुनिंदा आयुर्वेदिक उपचार

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यदि आपको ऐसा लग रहा हो, कि आपके ऊपर आवश्यकताओं की पूर्ति का अधिक दबाव है ,या यदि आप अपने आपको अत्यधिक व्यस्त पा रहे है और अपने लिए भी समय नहीं निकाल पा रहे हैं ,तो आप बच्चे हों या बड़े-बूढ़े आपके लिए तनाव नामक स्थिति से दो चार होना स्वाभाविक ही है। वैसे तनाव शरीर को मुश्किल भरे हालातों में जूझने की क्षमता भी देता है, लेकिन यह एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया के रूप में सामने आता है ,पर यही जब अनावश्यक रूप से सामान्य स्थिति में प्रकट होने लगे, तो आप वाकई एक गंभीर स्थति से गुजर रहे हैं।

यूँ तो अधिकांश बीमारियों में तनाव एक बहुत बड़ा कारण होता है ,जीवन मंत्र पर अब तक मैंने जिन बीमारियों का समाधान प्रस्तुत किया उन सबमें कहीं न कहीं यह एक ट्रिगर फेक्टर के रूप में काम करता रहा है, और इसके मानसिक एवं शारीरिक दो पहलू अक्सर हमें परेशान करते हैं। इस सीरीज में तनाव के मानसिक पहलूओं पर पाठकों की समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है:-

-राज (गोवा ): आपने एंजाईटी नामक समस्या का निदान जानना चाहा है, यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति बिना कारण के एक छुपे हुए डर से परेशान होता है ,उसे यह डर एक साथी के रूप में अपने भविष्य सहित किसी भी काम में साये की तरह पीछे लगा रहता है। यह दिल के धड़कन के बढऩे जैसे लक्षणों को भी उत्पन्न करता है, आप योग की क्रिया प्राणायाम का नियमित अभ्यास करें तथा किसी पंचकर्म चिकित्सक के निर्देशन में शिरोधारा का लाभ लें,दवाओं में ब्राह्मी वटी दो-दो गोली एवं सारस्वतारिष्ट को चार चम्मच की मात्रा में समान भाग पानी से भोजन के सुबह शाम लें,अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत करें और अत्यंत आवश्यक होने पर ही आधुनिक औषधी का सेवन करें।

-विनय (इंदौर ),अरुण (भोपाल ),मनोज कुमार (छपरा),सी .बी.देशमुख (पुणे )- आप सभी कुछ ऐसी समस्या से पीडि़त हैं, जिसमें रात में देर से नींद आती है, या टूट-टूटकर आती है और सुबह जल्दी खुल जाती है। आप सभी रात में अपने तलवों में सरसों की तेल की मालिश करें तथा नियमित रूप से शवासन का अभ्यास करें। ऊपर बतायी गयी औषधि के साथ जटामांसी के चूर्ण का 5 से दस ग्राम की मात्रा में रात्रि में सेवन आप के लिए फायदेमंद होगा।

-शिल्पी (नोएडा )- आपकी माताजी एक मानसिक बीमारी पैरानोया से पीडि़त हैं,जिसमें व्यक्ति अनावश्यक रूप से इस प्रकार का शक करने लगता है, कि उसके खाने में कुछ मिला है ,आप किसी अच्छे मानसिक रोग में विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें, जो दोषों के अनुसार उनकी प्रकृति का आकलन कर आयुर्वेदिक औषधियों की मात्रा एवं काल का निर्धारण करे।

-विवेक सैनी (जयपुर ): आप नवीं कक्षा के छात्र है और आप ऐसा सोचते हैं, कि आपकी कक्षा के और छात्र आपके बारे में क्या सोचते हैं? ,आप दूसरों के सोचने की परवाह बिलकुल न करें ,केवल अपना अच्छा काम करें ,किसी को किसी के बारे में सोचने की फु र्सत नहीं होती, इसलिए मस्त रहें,जिससे आप स्वस्थ रहेंगे।

-ऋषि (रायपुर )-आपने मुझे पंडितजी कहकर अभिवादन किया है जिसे मैं स्वीकार करता हूं, लगता है आप व्यावसायिक एव सामान्य जीवन में सफलता और असफलता के कारण तनाव से प्रताडि़त हैं, और कई पंडितों से परामर्श ले चुके हैं, मैं एक आयुर्वेदिक चिकित्सक आपको यह परामर्श देता हूं। किस फलता की तरह असफलता भी जीवन का आवश्यक पहलू है ,जिससे हर व्यक्ति को जूझना पड़ता है, आपके लिए बेहतर है, आप पंडितों,तांत्रिकों एवं ओझाओं से से दूरी बनाकर लाइफ-स्टाईल मैनेजमेंट पर ध्यान दें, तो बेहतर होगा, इसके लिए आयुर्वेदिक औषधियां एवं योग का नियमित अभ्यास सहित पंचकर्म एक बेहतर विकल्प होगा।

-संदीप (दिल्ली ) -आप किसी सदमें से उबरने के बाद अपनी मस्तिष्क के अस्थिर होने से सम्बंधित समस्या से पीडि़त हैं ,मुझे लगता है, आपके मस्तिष्क मैं कहीं न कहीं अभी भी उस सदमे का असर थोड़ी मात्रा में है, आप नियमित रूप से ब्राह्मी वटी -दो दो गोली गुनगुने पानी से सुबह-शाम ,तथा जटामांसी का काढा बनाकर रात में 15 मिली की मात्रा में लें, निश्चित लाभ मिलेगा, प्राणायाम एवं त्राटक का नियमित अभ्यास आप के मस्तिष्क को स्थिर रखने में मददगार सिद्ध होगा।

अंत में मेरा आप सभी को एक परामर्श है, कि यदि तनाव को दूर रखकर सदैव प्रसन्नचित्त रहने का प्रयास किया जाय, तो आप मानसिक एवं शारीरिक दोनों ही रूपों में स्वस्थ रहेंगे ,इस हेतु ध्यान,प्राणायाम,आसनों का नियमित अभ्यास सदैव फायदेमंद होगा।

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