किसी भी प्रकार की भीतरी और बाहरी सूजन को दूर करने, दर्द और गैस को दूर करने के लिए उपयोगी निर्गुण्डी की जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है। इसका पौधा सारे भारत मे, विशेषकर गर्म प्रदेशों में पाया जाता है। आयुर्वेद में कहा गया है-
सिन्दुक: स्मृति दस्तिक कषाय: कटुकोलघु।
केश्योनेत्र हितोहन्ति शूल शोथाम मारुतान्।
कृमि कुष्टारुचि श्लेष्व्रणन्नीला हितद्विधा।।
सिंदुरवारदलं जन्तुवात श्लेष्म हरं लघु।
इस तरह के पौधे की गंध तीव्र और अरूचिकर गंध आती है। इसका सबसे ज्यादा उपयोग सूजन दूर करने में किया जाता है। हर प्रकार की सूजन दूर करने के लिए प्रयोग विधि इस प्रकार है।
प्रयोग- इसके पत्तों को पानी में उबालें। जब भाप उठने लगे तब बरतन पर जाली रख दें। दो छोटे कपड़े पानी में भिगोकर निचोड़ ले। तह करके एक के बाद एक जाली पर रख कर गर्म करें। सूजन या दर्द के स्थान पर रख कर सेंक करें। चोंट मोंच का दर्द, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द और वात प्रकोप के कारण होने वाला दर्द दूर करने के लिए यह उपाय बहुत गुणकारी है। कफ,बुखार व फेफड़ों में सूजन को दूर करने के लिए इसके पत्तों का रस निकालकर 2 बड़े चम्मच मात्रा में, 2 ग्राम पिसी पिप्पली मिलाकर दिन में दो बार सुबह शाम पीएं व पत्तों को गर्म कर पीठ पर या छाती पर बांधने से आराम होता है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 दिसंबर 2011
कैसा भी हो दर्द और सूजन ये देहाती नुस्खा है पक्का शर्तिया इलाज
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