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18 दिसंबर 2011

एक ऐसा इस्लामी खानदान बनाएं जो अमन सुकून भाईचारा सद्भावना राष्ट्रीयता का सबक देता हो ...

इस्लामी खानदान केसा हो विषय पर आज जमाते इस्लामी ऐ हिंद की तरफ से एक सेमीनार आयोजित की थी जिसका मकसद पारिवारिक रिश्तों में कुरानी हुक्म से बनाये गये निति नियमों पर चर्चा और लोगों को उनके प्रति जाग्रत करना था लेकिन आज आप खुद अपने गिरेबान में झाँक कर देखें .......... शादी के वक्त क्या मुसलमान दहेज़ नहीं लेते ......सोनोग्राफी में लडकी होने पर क्या हम उसे गर्भ से गुपचुप नहीं गिरा देते ....होने वाले बच्चे का खर्च केसे चलेगा इस डर से क्या हम बच्चे पैदा करने पर रोक नहीं लगाते ...क्या हम हमारे पड़ोसी के दुक्ख दर्द .भूख गरीबी में काम आते हैं ...क्या शादी में हम फ़िज़ूल खर्ची नहीं करते .....तलाक के वक्त हम कुरान की आयत सुरे अन्निसा में दिए गये हुक्म के खिलाफ दी गयी बिना समझायश के एक बैठक में तीन तलाक को एक तलाक नहीं मानते .क्या तलाक के वक्त मुलमान अपनी बीवी को पूरा महार और इद्दत का पैसा उसी वक्त देता है ....क्या बिना महर के दिए गये तलाक की काजी गलत तरीके से तस्दीक नहीं करते ॥ मुस्लिम कानून के खिलाफ क्या क़ाज़ी किसी भी लडके का दुसरा निकाह करने के पहले उसकी पहली बीवी की रज़ा मंदी के बारे में देखता है या फिर पहले बीवी की बिमारी बच्चे पैदा करने में अक्षमता का सुबूत होने पर ही दूसरी शादी करवाता है ..क्या हम अपने माँ बाप की खिदमत करते है ..क्या बीवी से ज्यादा माँ को तरजीह देते है ससुराल वालों से ज्यादा क्या अपनों को तरजीह देते है ...लडकी को क्या प्रोपर्टी में जो भी हिस्सा है वोह हम देते हैं ॥ जो घटना हम देखते हैं उसे सच कहते हुए क्या हम गवाही देते हैं ..क्या हम ब्याज नहीं खाते .... क्या हम धर्म और खुदा की आयतों को रोज़गार का जरिया नहीं बनाते ..क्या हम नमाज़ पढाने के रूपये नहीं लेते .......क्या हम देश और हमारे राजा के प्रति वफादार रहते है ..क्या धंधे में हम उचित मुनाफे में क्वालिटी वाली चीज़ ग्राहक को देते हैं ... क्या हम इस्लाम के लियें मर मिटने को तय्यार रहते हैं ..क्या हम खुदा अल्लाह और रसूल के अलावा दुसरे लोगों को ज़िंदा लोगों को और मुर्दा लोगों को आदरणीय के स्थान पर पूजनीय बना कर उन्हें नहीं पूजते ....क्या दो लोगों के बीच में जब विवाद हो तो हम इन्साफ की तरफ बोलते हैं ..॥ क्या हम जकात फितरा उचित व्यक्ति को इमानदारी से देते हैं ॥ क्या हम हज करके आने के बाद जेसी जिंदगी एक हाजी को गुजारना चाहिए वेसी जिंदगी गुज़ारते है ..अगर हम ऐसा नहीं कर पाते तो केवल गोश्त बनाने और खाने से हम मुसलमान केसे हो सकते है तो प्लीज़ दुसरे लोग हमारे मजहब और हमारे किरदार को देख कर कहें के वाह ऐसा मजहब मजहब का ऐसा कानून ऐसे पारिवारिक नियम जो जिंदगी को स्वर्ग बना देते हैं तो जनाब एक ऐसी मुहीम चलाई जाए जेसा कुरान में आदेश है वेसा इस्लामी खानदान बने चंद रुपयों के लालच में कुरान से अलग हठ कर फतवे जारी करने वालों और मजहब को रोज़गार का जरिया बनाने वालों को बेनकाब करे सभी मुसलमानों के लियें पाबंदी करें के वोह कुरान मजीद अरबी के आलावा तर्जुमे से जरुर जरुर पढ़े ताके उन्हें कुरान की आयतों का गलत अर्थ बनाकर जब कोई मोलाना मुल्ला बेवकूफ बनाये ठगी करे तो उसे वोह बेनकाब कर सके तो आओ जनाब हम एक ऐसा इस्लामी खानदान बनाये जो भाईचारा सद्भावना अपनापन राष्ट्रीयता इंसाफ अमन सुकून अपराधियों से न्रिभिकता से निपटने की सीक्ख देता हो ... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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