एक दिन अचानक उसे अपनी आंखों के सामने देख लोगों को यकीन नहीं हो रहा था। आंखें मल-मल कर परिवार के लोग जानना चाह रहे थे कि कहीं सपना तो नहीं देख रहे। पर वह तो सपना था, लेकिन अभी हकीकत में बदल चुका था। मोहल्ले का कोई उसे भूत समझ रहा था, तो कोई ख्वाजा की कारस्तानी। सच को भला कौन और कैसे झुठला सकता था। कहानी फिल्मी थी पर हकीकत तो हकीकत है।
जानकारी के मुताबिक, जिले के बिंदकी नगर में इस्माइल ठेकेदार का बेटा कमाल, 1988 में अजमेर शरीफ गया था। वहीं से कहीं लापता हो गया। घरवालों ने खूब ढूंढा, लेकिन पता नहीं चला। पुलिस में मामला दर्ज कराने पर पता चला कि उसकी मौत हो चुकी है। घरवालों ने कब्र भी देखी। बेटे के गम का बोझ उठाये घर वालों ने कब्र पर फातिहा पढ़ा। घर आकर चालीसवां कर दिया। गम में दो-चार होने के बाद जिन्दगी वापस ढ़र्रे पर आ गई।
एक दिन जो सूचना मिली उससे परिवार में भूचाल आ गया। कमाल के जिंदा होने की खबर मिली। पड़ोस के रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि उसने कमाल सरीखा एक आदमी अजमेर शरीफ में देखा है। अधेड़ शख्स गांजा पी रहा था। उसे शक हुआ तो पूछताछ की तो पूरी जानकारी पता चल गई। घरवालों ने बताए गए पते पर तलाश की तो कमाल मिल गया।
परिजन कमाल को लेकर घर आएं हैं। उसकी हालत ठीक नहीं है। इस बारे में पुलिस को इतल्ला कर दिया गया है। कमाल आज 50 की उम्र पार कर चुका है। घरवाले क्या, मोहल्ले वाले क्या पूरा इलाका इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहा। वहीं पुलिस मामले की तफ्तीश में जुटी है।
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